जयपुर, श्याम नगर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर वशिष्ठ मार्ग पर चल रहे चातुर्मास के दौरान शनिवार को गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी का 80 वां अवतरण दिवस श्रद्धा-भक्ति, जयकारों और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। माताजी के अवतरण दिवस के अवसर पर भट्टराक जी की नसियां में चातुर्मास कर रहे आचार्य सुनील सागर जी महाराज की संघस्थ शिष्या आर्यिका संगीतमती माताजी और छुल्लिका संप्रेक्षमती माताजी प्रातः 6 बजे नारायण सिंह सर्किल से विहार कर श्याम नगर में प्रवेश किया और गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
मंदिर ट्रस्ट समिति अध्यक्ष निहालचंद पांड्या ने जानकारी देते हुए बताया कि माताजी के अवतरण दिवस के अवसर पर प्रातः 6.15 बजे मूलनायक भगवान आदिनाथ स्वामी के पंचामृत कलशाभिषेक किये गए, इसके पश्चात माताजी के स्वास्थ्य लाभ और दीर्घायु की प्रार्थना के साथ श्रद्धालुओ द्वारा वृहद शांतिधारा की गई। इसके उपरांत नित्य-नियम पूजन कर अष्ट द्रव्य चढ़ाए गए। अवतरण दिवस पर मुख्य आयोजन प्रातः 8 बजे से प्रारम्भ किया गया। जिसमें मंदिर ट्रस्ट समिति, महिला मंडल और गुरुभक्त परिवार सहित समाजश्रेष्ठी सुरेश साबलावत, प्रदीप चुड़ीवाल, राजकुमार सेठी, अशोक जैन द्वारा गुरुपूजन किया गया, पूज्य माताजी के सुभाष जैन, प्रभात जैन, अमित जैन, श्रीमती रजनी जैन एवं सिंघई परिवार जबलपुर द्वारा पाद प्रक्षालन किया गया। इसके शास्त्र भेंट, वस्त्र भेंट आदि किये गए। कार्यक्रम के दौरान आर्यिका संगीतमती माताजी ने गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी को पिच्छिका भेंट की। इसके पश्चात समाज श्रेष्ठी राजकुमार पाटनी, अजीत पाटनी, प्रभात जैन, ब्रह्मचारिणी किरण दीदी, मुन्नी बाई, छुल्लिका माताजी एवं आर्यिका संगीतमती माताजी द्वारा विनयांजलि देकर अवतरण दिवस मनाया। इस दौरान राजेन्द्र बड़जात्या, अभिषेक जैन बिट्टू, प्रवीण जैन, सुभाष जैन, संजय कासलीवाल, बसंत बाकलीवाल, वैभव जैन, मनोज जैन आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित हुए।
*तप, त्याग, ममता की मूर्त है गौरवमती माताजी – आर्यिका संगीतमती*
विनयांजलि सभा के दौरान आर्यिका संगीतमती माताजी ने कहा कि तप, त्याग और साधना क्या होती है मां में ममता कैसी है होती है इसका उदाहरण गुरुमां गौरवमती माताजी है। पूज्य माताजी ने 57 वर्षो से अधिक समय पूर्व अपने घरस्थ जीवन का त्याग कर 42 वर्षो तक ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हुए गुरुमां सुपार्श्वमती माताजी की सेवा की और पिछले 15 वर्षों से आर्यिका दीक्षा लेकर हम सभी को धर्म शिक्षा दे रही है। पूज्य माताजी का पूरा जीवन आदर्श है जिसकी कल्पना और तुलना तक नही की जा सकती।
*धर्म को थोपो मत, धर्म की पूजा करो, सम्मान करो तभी धर्म सबका सम्मान करेगा – गणिनी आर्यिका गौरवमती*
शनिवार को उपस्थित श्रद्धालुओ को संबोधित करते हुए कहा कि आजकल धर्म को जबर्दस्ती थोपा जा रहा है, जबकि हकीकत में धर्म की पूजा होनी चाहिए, धर्म का सम्मान होना चाहिए। जब हम धर्म के महत्व को समझकर धर्म का सम्मान करेंगे तभी धर्म प्राणियों को सम्मान देंगा। आज धर्म के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए बेहतर प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। जो प्राणी धर्म को पूजते है उन्हें धर्म का प्रचार-प्रसार करना चाहिए, उसके महत्व को जन-जन तक फैलाना चाहिए। किन्तु धर्म को लेकर कभी जबर्दस्ती नही करनी चाहिए और ना ही थोपना चाहिए।