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बीकानेर,राजनीति की पाठशाला में प्रवेश करने वाली महिलाएं सामाजिक परिवर्तन के साथ राजनीति को पुनर्परिभाषित कर रही हैं। तीन साल पहले सरपंच चुनी गई तीनों महिलाएं मानदेय और बचत के पैसे से अपनी बेटियों को खेल सुविधाएं और अच्छा शिक्षा का माहौल मुहैया करा रही हैं।साथ ही वह महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रही हैं।

बाजायवास की सरपंच चंदा धायल, दुजेद के सरपंच हंसा कंवर और संवादा ध्यानालं के सरपंच हरिओम कंवर सामाजिक बदलाव ला रहे हैं। 3 गांवों में 70 से ज्यादा लड़कियां खेलों से जुड़ चुकी हैं, जबकि 50 से ज्यादा महिलाएं आत्मनिर्भर हो चुकी हैं।

चंदा धायल – स्कूल छोड़ चुकी दो दर्जन बेटियों को शिक्षा से जोड़ा, खर्च उठा रहीं

बी.ए.-बी.एड. चंदा धायल (बजायवास सरपंच) ने गाँव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और स्कूल छोड़ने वाली बेटियों को फिर से शिक्षा से जोड़ने के लिए एक अभियान शुरू किया। वह कहती है कि वह चार साल पहले अपने पति कैलाश, एक नर्सिंग अधिकारी के साथ मुंबई चली गई थी। ग्रामीण महिलाओं की आत्मनिर्भरता देखने का एक सबक था। सरपंच बनने के बाद इसे गांव में लागू किया गया।

गरीबी के कारण स्कूल छोड़ने वाली दो दर्जन लड़कियों को सफल महिलाओं से मिलवाया गया और शिक्षा के साथ फिर से जोड़ा गया। वह पाठ्यक्रम सामग्री, टाई-बेल्ट, पोशाक प्रदान करने के साथ-साथ अपनी पढ़ाई का खर्च वहन कर रही है। सिलाई, डिजाइनिंग, मसाला उत्पादन का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया। आज 20 से अधिक महिलाएं अपना व्यवसाय चला रही हैं।

हंसा कंवर – खेल सुविधाएं जुटाई, अब तक स्पोर्ट्स से जुड़ चुके हैं 70 बेटे-बेटियां

दू जाेद सरपंच हंसा कंवर ग्रेजुएट हैं। जनप्रतिनिधि बनने के बाद से अपना पूरा मानदेय गांव में बेटे-बेटियों की खेल सुविधाओं पर खर्च कर रही हैं। जरूरत के मुताबिक पैसा जुटाकर संसाधन मुहैया करा रही हैं। खेल ग्राउंड तैयार करवाने के साथ स्पोर्ट्स किट व बास्केटबाॅल मुहैया करवाई। घर-घर संपर्क कर बेटियों को खेल से जोड़ा। नतीजा आज गांव के खेल मैदान पर 70 बेटे-बेटियां खेल की प्रैक्टिस कर रहे हैं।

जिसमें से 5 बेटियां राज्य और एक राष्ट्रीय स्तर तक खेली हैं। वहीं राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परियोजना में समितियों का गठन कर सैकड़ों गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया गया है. खेतिहर और मजदूर गरीब वर्ग की महिलाएं काम के अलावा अपने खाली समय में अपना खुद का व्यवसाय करती हैं। आय बढ़ने के साथ-साथ उनका रहन-सहन का स्तर भी बदल रहा है।

हरिओम कंवर – कंप्यूटर लैब व लाइब्रेरी शुरू कराई
सांवलाेदा धायलान की सरपंच हरिओम कंवर बीए पास हैं। सरपंच बनने के बाद गांव का चयन डिजिटल साक्षरता के रूप में करवाया। अभियान चलाकर सैकड़ों महिलाओं काे डिजिटल साक्षरता से जोड़ा। उन्हें मोबाइल-कम्प्यूटर चलाने के अलावा आधुनिक मशीनों की ट्रेनिंग दी। गांव में मातृ माॅडल सीएससी अकादमी की स्थापना की गई। यहां कंप्यूटर लैब, सिलाई प्रशिक्षण केंद्र, स्वरोजगार केंद्र व लाइब्रेरी स्थापित की गई, ताकि महिलाएं समय के साथ आगे बढ़ सके। प्रशिक्षित महिलाएं आज घर से ई मित्र सहित छोटे-छोटे बिजनेस चला रही हैं।

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