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बीकानेर,आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की ओर से रविवार को राजस्थानी कवयित्री गोष्ठी का आॅनलाईन आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश की कवयित्रियों ने मायड़ भाषा में रचित अपनी कविताओं के माध्यम से तिरंगे की महिमा का बखान करते हुए राष्ट्र के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने की बात कही।

अकादमी सचिव शरद केवलिया ने बताया कि कवयित्री गोष्ठी में जयपुर से डाॅ. शारदा कृष्ण, उदयपुर से शकुंतला सरूपरिया व किरण बाला, कोटा से श्यामा शर्मा, झालावाड़ से प्रीतिमा पुलक, बीकानेर से मोनिका गौड़ व मनीषा आर्य सोनी, खाटू से मानकंवर तथा जोधपुर से डाॅ. सुमन बिस्सा व किरण राजपुरोहित ने देशभक्ति से ओतप्रोत कविताएं पढ़ीं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डाॅ. शारदा कृष्ण ने कहा कि असंख्य देशभक्तों के बलिदान के कारण हमें आज़ादी मिली। उन्होंने कविता के माध्यम से कहा- ‘ओढ़ तिरंगो अलख जगावण, कुण आयो इण गांव, नित उठ निंवण करूं बीरा रे, ऊजळ थांरो नांव।’ कार्यक्रम संयोजिका-संचालिका कवयित्री मोनिका गौड़ ने कहा- ‘है आ ही अरदास अल्लाह, जीसस अर रामजी, देस में त्योहार सारा तीन रंग्या हुए।’ कवयित्री डाॅ. सुमन हिस्सा ने ‘आ सिरजण री साख, मुलक री आ मोटी मरजाद, ऊजळै इतियासां रो नांव, के धिन धिन है थांरो बलिदान, शहीदां बारम्बार प्रणाम’ कविता सुनाई तो डाॅ. प्रीतिमा पुलक ने कहा- ‘झूम-झूम आयो रे आजादी रो दन। झण्डो तीन रंग्यो लहरायो रे हरक्यो म्हाको मन।’ किरण बाला ‘किरन’ ने अपनी भावपूर्ण कविता सुनाई- ‘इण माटी में निपज्या जवान रा सुपना, जवानी कोनी विया करे, ओस री बूंद री तांई, माटी में रम जावे, वे सुपना वां रा प्रेम रा, तिरंगा में लेरावे।’ डॉ. शकुंतला सरूपरिया ने मातृभूमि को नमन करते हुए कहा कि ‘मायड़ भारती थाणौ वंदन, थानै शीश नवावै जन-जन, थाणीं गोदयां में जलम लियो म्हैं, जीवन म्हाणौ हुयौ यो धन-धन।’ मनीषा आर्य सोनी ने ‘सत री जोत जगा भारत में, मेट्यो परबसता रौ तम, सत्य अहिंसा परम धरम’ व मानकंवर ने ‘म्हारो भारत देस महान’ कविता सुनाई। श्यामा शर्मा व किरण राजपुरोहित ने आज़ादी के अमृत महोत्सव की महिमा बताई। कार्यक्रम में साहित्य-अनुरागी सम्मिलित हुए।

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