जयपुर। शहर के श्याम नगर स्थित आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर वशिष्ठ मार्ग पर चल रहे गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी के चातुर्मास के दौरान शुक्रवार को अपने आशीर्वचन में कहा कि ” सृष्टि और प्राणी एक दूसरे के पूरक है, ना सृष्टि के बिना प्राणी है और ना प्राणी के बिना सृष्टि है। इसलिए प्रत्येक प्राणी का कर्तव्य बनता है कि वह सृष्टि के महत्व को पहचाने और कर्म और धर्म के मार्ग पर चले। केवल यही है मार्ग है जो सबसे उपयुक्त है। ”
गणिनी आर्यिका गौरवमती माताजी ने कहा कि ” आजकल प्राणी मोह, माया, छल-कपट के भंवर में उलझ कर धर्म और कर्म के मार्ग से विमुख होता जा रहा है। जिस प्रकार कर्म राह दिखाते है उसी प्रकार सृष्टि भी एक राह है। ठीक उसी प्रकार धर्म है जो प्रत्येक प्राणी की पहचान है जैसे प्राणी की अपनी पहचान होती है। इसलिए प्राणी को ना सृष्टि के महत्व से विमुख होना चाहिए ना धर्म से विमुख होना चाहिए।
एक दौर था जब टेक्नोलॉजी नही थी किन्तु धर्म भरपूर था, किन्तु जिस धर्म ने टेक्नोलॉजी बनाई उससे आते ही प्राणी धर्म से विमुख होता जा रहा है। जबकि हकीकत में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सरल माध्यम अपनाकर एक-दूसरे प्राणी को धर्म से जोड़ने का प्रयास करना चाहिए। अगर प्रत्येक प्राणी ईश्वर की बनाई सृष्टि, धर्म, कर्म और प्राणी के महत्व को समझकर बताए मार्गो का अनुसरण करे तो प्रत्येक प्राणी अपना जीवन सरल और सुखी बना सकता है।