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बीकानेर,उपनिवेशन विभाग श्रीकोलायत तहसील के किसानों से फरवरी 2022 में खातेदारी के आवेदन मांगे। मार्च 2022 तक खातेदारी देने की प्रक्रिया पूरी हो गई। खातेदारी के हकदार किसान सूचीबद्ध कर लिए गए। अब किसानों को खातेदारी यह कहकर नहीं दी जा रही है की आवंटन सलाहकार समिति में अजा का सदस्य नहीं है।यह कमेटी श्रीकोलायत विधायक व मंत्री भंवर सिंह भाटी की अध्यक्षता में प्रधान, उपायुक्त उपनिवेशन, तहसीलदार एव अन्य लोग सदस्य होते हैं। उपायुक्त खुद अनुसूचित जाति के हैं ऐसे में कमेटी नॉर्म्स पूरा करती हैं।हालांकि विधायक की ओर से अनुसूचित सदस्य का नाम भी भेजा गया है। सदस्य नियुक्ति का आदेश नहीं आ रहा है। उपनिवेशन विभाग ने कई बार सदस्य नियुक्ति का रिमाइंडर लिख दिए हैं। श्रीकोलायत गजनेर क्षेत्र के किसान भंवर सिंह भाटी और उपनिवेशन कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। कोई सुनने वाला नहीं है। मुख्यमंत्री जी आप किसानों के प्रति संवेदनशीलता दिखाते रहे हैं। श्रीकोलायत में धरातल की स्थिति देख लें। वैसे ही श्रीकोलायत अवैध खनन, रॉयल्टी चोरी, अवैध वसूली के लिए बदनाम है। इस लोकहित की सरकार में किसान खून के आंसू रो रहे हैं। श्रीकोलायत सरकारी योजना में स्कूल, कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र खोलकर प्रचार माध्यमों से वाहवाही भले ही ले ले। वास्तविक स्थिति भिन्न है। श्रीकोलायत में सत्ता का जमकर दुरुपयोग हो रहा है। धरातल के हालत दूसरे हैं। सत्ता का दुरुपयोग करने वाले अफसर और नेताओं की भरमार है। आम जनता को तो तहसीलदार तो दूर पटवारी भी नहीं सुनता। सब सत्ता के इर्द गिर्द ही सिमटा हुआ है। खनन माफिया, भू माफिया, अवैध वसूली की आपको पिछली बार बीकानेर प्रवास के दौरान शिकायते की गई थी। प्रशासन मंत्री के साथ बैठक में लीपापोती और आंकड़ों से सरकार को संतुष्ट कर वाहावाही भले ही ले ले। किसान उपनिवेशन विभाग से दुखी हैं। श्रीकोलायत क्षेत्र की जिन किसानों की पेतृत्व खातेदारी जमीन को सरकार ने उपनिवेशन अधिनियम के तहत गैर खातेदार किया। अब ऐसे सैकड़ों किसानों को खातेदारी देने की प्रक्रिया में ऐसा उलझाया है कि किसान दर दर भटक रहे हैं। आवंटन कमेटी की बैठक को पहेली बना दिया गया है। कमेटी में अनुसूचित जाति का मेम्बर ही नहीं है। बैठक होगी कैसे ? जबकि उपायुक्त अजा के हैं। वे अजा के काश्तकारों के हितों को सदस्य के रूप सुरक्षति रखने में भूमिका निभा रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसानों के प्रति संवेदनशील है और खादेदारी के लिए गांवों में शिविर लगा रहे हैं। प्रशासन गांवों में जनता को राहत के लिए ही कैंप लगाए गए। उपनिवेशन विभाग की कार्य दक्षता सामने हैं। पीड़ित कोई छोटी संख्या में नहीं है। राजनीतिक हस्तक्षेप और विभाग की मिलीभगत के रिकार्ड श्रीकोलायत में देख लें । आम किसान की सुनवाई कितनी है ये भी जांच लें। फिर विभाग की कार्य दक्षता स्वत: सामने आ जाएगी। किसानों ने बीकानेर प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर पीड़ा बताई । जिला कलक्टर को जन सुनवाई में परेशानी से अवगत करवाया। उपनिवेशन आयुक्त ने कई बार कार्रवाई के निर्देश दिए। कोई सुनने और करने वाला नहीं है। वास्तविकता है कि उपनिवेशन विभाग को किसानों के हित में उनकी समस्याओं को राजनीतिक लाभ हानि से जोड़ा जा रहा। इन समस्याओं में राजनीतिक फायदा देखा जा रहा है। आवंटन सलाहकार समिति तो राजनीति करना का उपकरण मात्र है। दुखी किसान भी इस राजनीतिक खेल को समझ रहे हैं। मुख्यमंत्री जी किसानों की दिक्कतों को दूर करना सरकार की जिम्मेदारी है। किसानों की पीड़ा के साथ राजनीति मत कीजिए नहीं तो बुरा हश्र होना तय है।

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