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बीकानेर.हंसेरा सीमावर्ती बीकानेर जिले का एक ऐसा गांव, जिसके हर घर में फलदार वृक्ष और पौधे लगे हुए हैं। फलों के मामले में आत्मनिर्भर गांव। यहां न तो फल खरीदे जाते हैं और ना ही बेचे जाते हैं। करीब 17 साल पहले शुरू की गई यह मुहिम अब रंग ला रही है। फल तो भरपूर है ही, ऑक्सीजन के मामले में भी गांव पूरी तरह आत्मनिर्भर है। क्योंकि गांव की जनसंख्या (4300) से ज्यादा पेड़-पौधे (4500) लगे हैं। नींबू, अमरूद, अनार, आम, पपीता, अंगूर, चीकू, बेर, केला, बील, मौसमी, संतरा, कीनू के अलावा अर्जुन व सिंदूर जैसे औषधीय पौधे भी लगा रखे हैं। खास बात यह कि ये सब ऑर्गेनिक है। ग्रामीण किसी भी प्रकार की रसायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते। गांव के करीब 90 फीसदी घरों में नींबू के पेड़ लगे हैं। पिछले दिनों जब नींबू महंगा हुआ, तब भी इस गांव में नींबू की कोई कमी नहीं थी।

यों शुरू हुई मुहिम
ग्रामीण बैंक से सेवानिवृत निर्मल बरडिय़ा ने हंसेरा गांव के लोगों में फलदार पेड़ों के प्रति यह प्रेम जगाया। वे बताते हैं कि दुलमेरा पोस्टिंग के दौरान हंसेरा गांव के विकास और अलग पहचान दिलाने की दृष्टि से पर्यावरण व स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर यह मुहिम शुरू की। ग्रामीणों को पेड़ लगाने व उनकी सारसंभाल की विधि सिखाई। गांव के गौ सदन में छोटे रूप में फलदार पौधों की नर्सरी तैयार की। पपीता व अनार के पौधे लगाकर दिखाए। जब पेड़ों पर फल लगने लगे तो उनका जुड़ाव बढ़ता गया। ग्रामीणों को जल प्रबंधन के बेहतर उपाय बताए। देखते ही देखते इस मुहिम से पूरा गांव जुड़ गया।

गांव में कराई थी प्रतियोगिता
करीब डेढ़ दशक पहले फलदार पेड़ लगाने के प्रति ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए प्रतियोगिता कराई गई। तत्कालीन कमिश्नर ओमप्रकाश मीणा व संवित सोमगिरी महाराज ने ग्रामीणों को सम्मानित किया था। ग्रामीण जागरूक हुए और धीरे-धीरे वे खुद फलदार पौधे लगाने लगे। नतीजतन अब हर घर में फलदार पौधा और पेड़ हैं। गांव के लोग बाजार से फल नहीं खरीदते। एक-दूसरे से आदान-प्रदान कर लेते हैं।

बेचते नहीं, उपहार में देते फल
गांव के हर घर में पेड़ लगे हैं। 17 साल पहले की मेहनत अब रंग ला रही है। पिछले दिनों जब नींबू 200 रुपए किलो से अधिक के भाव में बिक रहे थे, तब भी गांव में कोई कमी नहीं थी। ग्रामीण फलों को बेचते नहीं, बल्कि गांव आने वाले रिश्तेदारों व परिचितों को उपहार स्वरूप देते हैं। इसकी पहचान ही पेड़ों वाला गांव की हो गई है।
लिछमा देवी, सरपंच हंंसेरा

सात साल से नहीं खरीदे फल
फलदार व औषधीय पौधे घर के बगीचे में लगे हुए हैं। पिछले सात साल से घर में फल खरीदकर नहीं लाए। फल भी रसीले व अच्छी क्वालिटी के हैं। अब गांव के लोग अपने रिश्तेदारों व परिचितों को भी घर के बगीचे में फलदार पौधे लगाने के लिए प्रेरित करते हैं।
गिरधारीनाथ सिद्ध, ग्रामीण

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