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बीकानेर,राजस्थान में विधानसभा चुनावों के लिये अभी डेढ साल बाकी है,लेकिन राजनैतिक पार्टियों ने चुनावों के लिये अभी से कमर कस ली है। इनमेंं सत्तारूढ कांग्रेस और भाजपा के चुनावी रणनीतिकार पूरी तरह अलर्ट मोड़ में आ गये है। कांग्रेस में चुनावी रणनीति की कमान खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संभाल रखी है। वहीं भाजपा ने राजस्थान फतेह करने के लिये यूपी की तर्ज पर रणरनीति बनाई है। रणनीति के तहत संासद और विधायक से लेकर पार्टी पार्षदों के साथ पंचों और सरपंचों को भी अलग अलग जिम्मेदारिया सौंपी जायेगी। इसी के तहत बीकानेर शहर और देहात भाजपा ने इस पर काम शुरू किया है। सबसे पहले कार्यकर्ताओं के नाम तैयार किए जाए रहे हैं, जिन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा। रणनीति के तहत सांसद बीकानेर संसदीय क्षेत्र की विधानसभाओं में सो कमजोर बूथों पर काम करेंगे। उनको 30 प्रशिक्षित कार्यकर्ता भी दिए जाएंगे। सांसद और ये कार्यकर्ता इन बूथों पर प्रवास करेंगे। वे सबकी सुनेंगे और परिणाम लाने के लिए काम करेंगे। वहीं जिले की सात विधानसभा है। इनमें जहां विधायक है, वहां वे और जहां चुनाव हारे वहां संयोजक बनाए जाएंगे। वैसे तो जो प्रत्याशी रहा, उसे ही जिम्मेदारी देंगे। विधायकों को अपने विधानसभा क्षेत्र में 25 कमजोर बूथ देंगे और 10 प्रशिक्षित कार्यकर्ता भी देंगे। वे भी प्रवास से लेकर पूरा काम करेंगे। रणनीति के तहत वार्ड पार्षदों और पंचों सरपंचों को अपने क्षेत्र के बूथों को मजबूत करने की जिम्मेदारी सौंपी जायेगी। भाजपा रणनीतिकारों की मानें तो पार्टी ने राजस्थान में मिशन फतेह को सफल बनाने लिये रूट स्तर से लेकर शीर्ष स्तर तक जुड़ाव का फार्मूला तय किया और इसी के तहत कार्यक्रमों की रूपरेखा भी तैयार की जा रही है।

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