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बीकानेर,जनता के प्रति पुलिस को और ज्यादा जवाबदेह बनाने को लेकर करीब साढ़े तीन साल पहले गठित की गई जिला पुलिस जवाबदेही समिति भी सियासी नियुक्तियों के फेर में अटकी हुई है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार के साढे तीन साल पूरे होने के बावजूद जिला पुलिस की जवाबदेह समिति का पुर्नगठन नहीं हो पाया है। यह समिति पुलिस कर्मियों के खिलाफ मिलने वाली उत्पीडऩ आदि की शिकायतों की जांच करती है। इसलिए इसमें सिविल सोसायटी के लोगों को शामिल किया जाता है ताकि निष्पक्षता को बढ़ावा दिया जा सके। जानकारी में रहे कि साल 2017 में तत्कालीन भाजपा सरकार के शासन में जिला पुलिस जवाबदेही समिति का गठित की गई। जिले में यह दिसम्बर 2018 क्रियाशील रही। हालांकि इसे पुन: गठित करने की मांग कांग्रेस शासन के शुरूआती साल से उठ रही है। लेकिन समिति में शमिल सदस्य की नियुक्ति का मामला सियासी नियुक्तियों के फेर में उलझा होने के कारण कांग्रेस सरकार ने मामला अटका रखा है। उल्लेखनीय रहे कि जिला स्तरीय जवाबदेही समिति में पांच सदस्य होते हैं। इनमें से एक एएसपी, जो बतौर समिति सचिव कार्य करते हैं। जबकि चार स्वतंत्र सदस्य सिविल सोसायटी से लिए जाते हैं। इनमें से एक समिति का अध्यक्ष होता है। समिति मुख्यतौर पर पुलिस अत्याचार, अवैध रूप से हिरासत में रखने, झूठे मुकदमे में फंसाने, रिश्वत मांगने या उत्पीडऩ संबंधी नागरिकों के परिवाद पर सुनवाई करती है। सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के तहत जवाबदेही समिति को न्यायिक शक्तियां प्रदान की गई हैं। वह किसी व्यक्ति को हाजिर होने, दस्तावेज तलब करने, साक्ष्यों की परीक्षा करने आदि की शक्तियां रखती है। अगर समिति किसी मामले में पुलिस कर्मी को दोषी पाए तो उसके खिलाफ वह कार्रवाई की अनुशंसा राज्य सरकार से कर सकती है। इस पर तीन माह के भीतर कार्रवाई की जिम्मेदारी सरकार पर है।

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