बीकानेर,जीवनदायनी पीबीएम होस्पीटल की चिकित्सीय सेवाओं में सुधार के लिये राज्य सरकार की ओर से करोड़ों रूपये का बजट मुहैया कराया जा रहा है । रोगियों की सुविधाओं के लिये भामाशाहों ने अपने खजाने खोल रखे है। अनुभवी डॉक्टरों और हाईटेक चिकित्सीय संसाधनों की बदौलत पीबीएम होस्पीटल में बीकानेर संभाग ही नहीं बल्कि नागौर,सीकर,हरियाणा और पंजाब के कई जिलों से पीडि़त रोगी इलाज करवाने के लिये आते है। मगर विडम्बना है कि निकम्में प्रबंधन के कारण पीबीएम में इलाज के लिये आने वाले रोगियों और उनके परिजनो को असुविधाओं की पीड़ा भोगनी पड़ती है । आलम यह है कि होस्पीटल के डॉक्टरों और नर्सिग स्टाफ कर्मियो ने अपने कक्षों में एसी कूलर लगा रखे है,जबकि वार्डो में भर्ती रोगियो के लिये पर्याप्त पंखे तक मुहैया नहीं है। ऐसे में रोगियों के परिजनो के अपने स्तर पर पंखों का बंदोबश्त करना पड़ता है । निकम्मा पीबीएम प्रबंधन होस्पीटल के वार्डो में भर्ती रोगियों और उनके परिजनों के लिये पीने का पानी तक मुहैया कराने में नाकाम है। इसके चलते भीषण गर्मी के मौसम में भामाशाह और सामाजिक संस्थाएं पीबीएम की प्यास बुझा का जिम्मा संभाल रही है । होस्पीटल में रोगियों की चिकित्सीय सेवाओं के लिये राज्य सरकार की ओर हर साला करोड़ों की मशीनें और चिकित्सीय उपकरण मुहैया कराये जा रहे है,लेकिन निकम्मा प्रबंधन इन मशीनों और उपकरणों की बेहतर तरीके से देखरेख और संचालन में भी नाकाम साबित हो रहा है। ऐसे में सैंकड़ों मशीनें और उपकरण खटारा होकर कबाड़ में तब्दील हो रहे है। इसी का परिणाम है कि होस्पीटल में जगह जगह चिकित्सीय मशीनें,उपकरण,पंखे कूलर,वाटर कूलर,हाईमॉस्क लाईट्स,फोल्डिंग बेड समेत करोड़ों का सामान कबाड़ में पड़ा है। इनमें कई मशीनें और चिकित्सीय उपकरण ऐसे है जो ठीक कराये जाने पर काम आ सकते है। लेकिन पीबीएम को कबाड़ में तब्दील करने में जुटा होस्पीटल प्रबंधन इस मामले में गंभीरता नहीं दिखा रहा।
सफाई और सुरक्षा सुरक्षा व्यवस्था फेल
पीबीएम होस्पीटल में सफाई और सुरक्षा व्यवस्था पूरी पटरी से उतरी हुई है। जिन फर्मों को सफाई और सुरक्षा का जिम्मा गया है। उनकी निगरानी उचित तरीके से नहीं होने और होस्पीटल प्रबंधन के निकम्मेपन से पीबीएम में गंदगी का आलम व्याप्त रहता है। इस कारण मरीज व उनके परिजनों को गंदगी से दो-चार होना पड़ता है और उनके स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ता है। अस्पताल के वार्ड व शौचालय गंदगी से अटे हुए हैं। हालत यह है कि वार्डों में गंदगी व बदबू के चलते बैठना तक दूभर हो जाता है। सफाई के लिए यहां कार्मिक लगाए हुए हैं, लेकिन सफाई ढंग से नहीं हो पाती है। वहीं लापरवाही की सुरक्षा व्यवस्था के कारण वार्डों में भर्ती मरीजों के सामान, रुपए व मोबाइल आए दिन चोरी हो रहे हैं। होस्पीटल प्रशासन और पीबीएम पुलिस चौकी इन्हें रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं। जिससे नकबजनों के हौसले बढ़ गए हैं। सुरक्षा बंदोबश्तों की पड़ताल में सामने आया है कि पीबीएम में अक्सर रात को चोरी होती है। ऐसा वार्डों में तैनात सुरक्षा कर्मियों की लापरवाही से हो रहा है। किसी चिकित्सक के राउंड के दौरान सुरक्षाकर्मी मरीजों व परिजनों पर रौब झाड़ते हैं, लेकिन चिकित्सक का राउण्ड पूरा होते ही इधर उधर हो जाते है।
पंगू बनी निगरानी कमेटिया
पीबीएम की चिकित्सा व्यवस्था चाक-चौबंद रखने के लिये होस्पीटल प्रबंधन की ओर गठित कमेटिया भी फाईलों में सिमट कर गई है । होस्पीटल की तमाम व्यवस्थाओं को सुचारू रखने के लिये पीबीएम के सिनियर डॉक्टरों के नेृतत्व में बनाई गई इन कमेटियों को सफाई,सुरक्षा, दवा वितरण और जांच की व्यवस्था पर निगरानी का जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन विडम्बना है कि यह कमेटिया पंगू बनी हुई है। पीबीएम अधीक्षक डॉ.पीके सैनी भी इन कमेटियों से नियमित रिपोर्ट नहीं ले रहे है।
डिविजनल कमिश्नर की सख्ती भी बेअसर
पीबीएम होस्पीटल की व्यवस्थाओं में सुधार के लिये डिविजनल कमिश्नर नीरज के पवन आये दिन औच्चक निरीक्षण कर रहे है। इसके बावजूद होस्पीटल की व्यवस्थाओं में कोई खास सुधार नहीं आ रहा है। पीबीएम में सिनियर डॉक्टर्स के लिये ओपीडी समय निश्चित है लेकिन ज्यादात्तर डॉक्टर्स कभी समय में नहीं आते और अपने घर पर ही मरीजों का इलाज करते हुए नजर आते हैं । ओपीडी में सिनियर डॉक्टर्स को ड्यूटी के समय मौजूद रहने के लिये पांबद करने में होस्पीटल प्रशासन पूरी तरह असहाय बना हुआ है। इसके लिये डिविजनल कमिश्नर भी सख्ती दिखा चुके है लेकिन सिनियर डॉक्टर्स के रवैये में कोई सुधार नहीं आया है।