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बीकानेर,जिले के सौर उर्जा में सिरमौर बना रही सौलर कंपनियां यहां पर्यावरण का दुश्मन बन गई है। सौलर प्लांट लगाने के लिये यह कंपनिया ना सिर्फ गांवो की हरियाली की लील रही है,बल्कि सामाजिक माहौल भी दूषित कर रही है। इन कंपनियों के कार्मिकों की गलत हरकतों को लेकर आये दिन शिकायतें भी पुलिस को मिल रही है। कुछ माह पहले लूणकरणसर इलाके में एक सौलर प्लांट कंपनी की तारबंदी के पास मृत मिले हिरणोंं का मामला भी खूब गरमाया था। इस मामले की पड़ताल में सामने आया है कि जिले में जामसर,नूरसर,खिचिंया समेत अनेक गांवों सौलर प्लांट लगा रही कंपनियों ने बड़ी तादाद में हरी खेजडिय़ा कटवा दी है,इससे गांवों का पर्यावरण संतुलन बिगडऩे लगा है। ग्रामीणों ने बताया कि प्लांट लगाने से पहले कंपनियेां के प्रतिनिधियों ने भरोसा दिलाया था कि गांवों की हरियाली को बढावा देने के लिये प्लांट के आस पास पौधारोपण किया जायेगा। लेकिन कंपनियों ने प्लांट लगाने के लिये सैंकड़ों की तादाद में खेजडिय़ा और हरे भरे पेड़ काट दिये। हैरानी की बात तो यह है कि इसे लेकर शासन प्रशासन के अफसरों को अवगत कराये जाने के बावजूद जिम्मेदार अफसर सौलर प्लांट कंपनियों पर लगाम कसने में नाकाम साबित हो रहे है। पुख्ता खबर यह भी मिली है कि सौलर प्लांट कंपनियों ने सैंकड़ो की तादाद में बाहरी प्रांतो के लोगों को काम पर लगा रखा है। इन लोगों का पुलिस वैरिफिकेशन भी नहीं कराया गया है। इनमें शामिल अनैतिक और संदिग्ध आचरण के लोग सौलर प्लांटों पर मांस मदिरा की पार्टिया कर गांवों का सामाजिक माहौल दूषित कर रहे है। इसे लेकर कुछ माह पहले खिंचिया गांव के ग्रामीणों और सौलर प्लांट कंपनी के कार्मिकों मेंं भिण्डत भी हो गई थी। बताया जाता है कि सौलर प्लांट के कार्मिकों ने गांव की एक युवति से छेडख़ानी कर ली थी। इससे माहौल गरमा गया,बाद में गांव के मौजिज लोगों ने समझाइस कर माहौल शांत कराया।

जन प्रतिनिधियों और अफसरों से सांठगांठ
सौलर प्लांट कंपनियों से जुड़े मामले की पड़ताल में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये है। पता चला है कि जन प्रतिनिधियों और अफसरों के साथ सांठगांठ के चलते यह कंपनिया ना सिर्फ नक्शे के विरूद्ध प्लांट लगा रही है,बल्कि हरियाली को भी उजाड़ रही है। इसे लेकर यहां जिला कलक्टर कार्यालय से लेकर उपखंड कार्यालयों में सौलर प्लांट कंपनियों के खिलाफ शिकायतों के अंबार लगे है। लेकिन हर माह मोटी बंधी मिलने के कारण ना तो इलाके के जन प्रतिनिधि इन कंपनियों के खिलाफ बोलते है और ना ही जिम्मेदार अफसर कोई कार्यवाही करते है।

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