बीकानेर, जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल की पहल पर मातृ-शिशु स्वास्थ्य सुरक्षा एवं पोषण के प्रति जागरुकता के लिए चल रहे ‘पुकार’ अभियान के बेहतर परिणाम सामने आने लगे हैं।
अभियान के पहले तीन महीनों में आए प्रारम्भिक परिणाम देखें तो दो बच्चों पर नसबंदी करवाने वालों की संख्या में गत वर्ष की तुलना में 232 प्रतिशत वृद्धि हुई है। इसी प्रकार प्रसव पूर्व जांच यानी एएनसी पंजीकरण में 38 प्रतिशत उछाल आया है। तीन माह में 17 हजार के लक्ष्य के विरुद्ध 22 हजार 400 गर्भवतियों का एएनसी पंजीकरण हो चुका है। महिलाओं में जागरुकता आने से 27 प्रतिशत ज्यादा एएनसी पंजीकरण 12 सप्ताह में होने लगा है। इस दौरान संस्थागत प्रसव में 10 प्रतिशत सुधार हुआ है। इसी प्रकार 4 एएनसी चेकअप करवाने वाली गर्भवतियों की संख्या 22 प्रतिशत की दर से बढ़ गई है। अभियान की बदौलत शिशु स्वास्थ्य के प्रति भी जागरुकता आई है तथा पूर्ण टीकाकरण में 9 प्रतिशत सुधार आया है। दो बच्चों के अंतर में लिए 28 प्रतिशत ज्यादा महिलाएं आईयूडी यानिकि कॉपर टी अपनाने लगी हैं, जबकि प्रसव के पश्चात् आईयूडी अपनाने वाली प्रसूताओं की संख्या में 38 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज की गई है।
*प्रत्येक बुधवार को लगती है पाठशाला*
पुकार अभियान के तहत प्रत्येक बुधवार को मातृ-शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण पाठशालाओं का आयोजन होता है। इसके तहत गत बुधवार को कुल 498 बैठकें आयोजित हुई। इन बैठकों में 11 हजार 475 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 3 हजार 813 गर्भवती महिलाएं भी शामिल रही। इनमें से आवश्यकता के अनुसार 4 हजार 594 प्रतिभागियों की हिमोग्लोबिन स्क्रीनिंग व टेस्ट किए गए। इस दौरान आयरन फोलिक एसिड की 42 हजार 581 टेबलेट वितरित की गई। जिनमें से 9 हजार 174 को मौके पर ही यह टेबलेट्स खिलाई गई। नोखा ब्लॉक द्वारा सर्वाधिक 106 पाठशालाएं लगा कर 2 हजार 976 महिलाओं से संवाद किया गया।
*अब तक लगी सात हजार से ज्यादा पाठशालाएं*
अभियान के तहत 6 अप्रैल से अब तक जिले भर में 7 हजार 44 मातृ शिशु स्वास्थ्य एवं पोषण पाठशालाएं आयोजित हो चुकी हैं। जिनमें एक लाख 58 हजार से ज्यादा महिलाओं से संवाद हुआ है। इन बैठकों में साढे पांच लाख से ज्यादा आयरन फोलिक एसिड की टेबलेट का वितरण किया जा चुका है, जो एनीमिया मुक्त राजस्थान अभियान के अंतर्गत कीर्तिमान बन रहा है।
अभियान को राज्य सरकार द्वारा जारी हेल्दी लिवर कैंपेन से भी जोड़ दिया गया है तथा आमजन को हेपेटाइटिस के कारण बचाव व उपचार को लेकर भी जागरूक किया जा रहा है।