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बीकानेर,अब चातुर्मास प्रारंभ हो गया है और सभी को इस अवधि में व्रत-नियम लेना होगा। जमीकंद का सेवन नहीं करेंगे, रात्रि भोजन व पाप प्रवृत्तियों का त्याग करना होगा। उक्त चातुर्मासिक व्रत-नियमों के बारे में मंगलवार को रांगड़ी चौक स्थित पौषधशाला में श्रद्धालुओं को साध्वीश्री सौम्यदर्शना ने बताया। साध्वी सौम्यदर्शना ने कहा कि अब से चार माह आत्मा की पुष्टि हेतु पारसमणि रूपी जिनवाणी को ग्रहण करें। यह पारसमणि आपको स्वर्णमय बना देगी। तीर्थंकरों ने हमारी चिंता करते हुए हमें व्रत-नियमों की सीख दी है ताकि हम गति से प्रगति की ओर बढ़ सकें।
साध्वीश्री अक्षयदर्शना ने कहा कि जिस व्यक्ति का तीर्थंकर परमात्मा, गुरु संतों के एवं माता-पिता इन तीनों में से किसी के भी वचनों पर श्रद्धा नहीं होती है तो उस व्यक्ति का पतन निश्चित है। साध्वीश्री ने कहा कि आदतों को सुधारने में आहार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। संतुलित आहार ही हमें मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रख सकता है। मंगलवार को पौषधशाला में साध्वीश्री सौम्यप्रभा तथा साध्वीश्री परमदर्शनाजी का सान्निध्य भी मिला। श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्री संघ के तत्वावधान में आयोजित इस चातुर्मासिक आयोजन के मुख्य लाभार्थी सुरेन्द्र जैन बद्धाणी ने बताया कि बुधवार को गुरुपूर्णिमा पर सुबह नौ बजे प्रवचन के साथ ही विभिन्न रंगोली गहुली एवं सुविचार तथा घी के दीपक से गुरुभक्ति होगी। कार्यक्रम का संचालन करते हुए जितेन्द्र कोचर ने बताया कि 15 जुलाई से 28 दिवसीय गौतम लब्धि तप प्रारंभ होगा। संघ के मंत्री विजय कुमार कोचर ने बताया कि 17 जुलाई को प्रात: नौ बजे प्रथम संक्रांति महामांगलिक तथा दोपहर में बाल शिक्षण शिविर आयोजित होगा।

यह बने लाभार्थी
श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ श्रीसंघ के अध्यक्ष रिखबचंद सिरोहिया ने बताया कि चार माह तक शांत सुधारस सूत्र एवं त्रिषष्ठी श्लाकापुरुष चारित्र का वाचन होगा, जिसके लाभार्थी मूलचन्द पुष्पादेवी सुरेन्द्र कुमार बद्धाणी परिवार बने। अध्यक्ष सिरोहिया ने बताया कि मतिज्ञान पूजा के लिए मूलचंद जयचंद बैद, श्रुत ज्ञान पूजा के लिए सुशीला देवी जितेश बोथरा उदयरामसर-बैंगलोर, अवधिज्ञान पूजा के लिए ताराचंद अशोक कोठारी बैंगलोर, मन प्रवहन के लिए आसकरण शांतिलाल कोचर तथा केवल ज्ञान के लिए जावंतमल सुशील कोठारी गुवाहाटी लाभार्थी बनें। अजय बैद ने बताया कि संघ पूजा का लाभ मोहलाल सेठिया परिवार एवं ताराचंद चांदमल कोचर परिवार ने लिया।

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