बीकानेर,चारदीवारी में बंद बाहरी दुनिया से बेखबर बंदियों को तनाव मुक्त रखने के लिए जेल प्रशासन की पहल अब रंग ला रही है। जेल में बंदी योगा करके खुद को स्वस्थ व तनाव मुक्त रख रहे हैं। साथ ही बाहभ्की दुनिया में क्या हो रहा है, इससे अपडेट भी हो रहे हैं। बीकानेर केन्द्रीय कारागार में बंदियों को तनाव मुक्त रखने के लिए कई तरह के कार्यक्रम किए जा रहे हैं। वहीं बंदियों की बैरकों में एलईडी टीवी लगाए गए हैं जो बंदियों का मनोरंजन करने के साथ-साथ उन्हें प्रदेश, देश-दुनिया होने वाली हर उठापटक से वाकिफ कराया जा रहा है। प्रदेश की सभी सेंट्रल जेलों के सामान्य बैरकों में एलईडी लगाए गए हैं। यह एलईडी भामाशाहों के सहयोग से लगवाए गए हैं।
बीकानेर केन्द्रीय कारागार की 42 बैरकों में एलईडी टीवी लगाए गए हैं। टीवी को ऑन-ऑफ करने वाला रिमोट बैरक हैं। टीवी के चैनल्स को ऑपरेट करने वाला रिमोट जेलर कार्यालय में हैं, जहां से जेल की सुरक्षा में तैनात प्रहरी इसका संचालन करता है। जेल में बंदियों के लिए चार चैनल्स प्रमुखता से चलाए जाते हैं। खेल, फिल्मी, योगा और समाचार चैनल्स चलाए जाते हैं। सुबह-सुबह योगा चैनल्स चलाकर बंदियों को योगा सिखाया जाता है। पिछले सालभर से चल रहे योगा चैनल्स का फायदा यह है कि अब अधिकांश बंदी रोजाना योगा करते हैं। योगा करने वाले बंदियों में दूसरे बंदियों की अपेक्षा तनाव कम है। वे स्वस्थ व फुर्तिले हैं।
बंदियों में टीवी देखने को लेकर किसी तरह का विवाद न हो इसलिए शेड्यूल तय है। जेलर ऑफिस से सुबह पांच बजे टीवी चला दिया जाता है। बंदी उससे पहले ही उठकर तैयार हो जाते हैं। सुबह पांच से सात बजे तक योगा करते हैं। इसके बाद आस्था चैनल्स पर भक्ति संगीत देखते हैं। इसके अलावा कई बंदी फिल्मी व समाचार वाले चैनल्स देखते हैं। बंदियों में चैनल्स को लेकर किसी तरह का विवाद न हो इसलिए योगा व धार्मिक चैनल्स का समय तय किया हुआ है। रात दस बजे टीवी को जेलर के ऑफिस से बंद कर दिया जाता है।
जेल के वरिष्ठ कार्मिक के मुताबिक जेल में मनोरंजन के साधन बढ़ने से बंदियों की दिनचर्या ही बदल गई है। योगा, समाचार, फिल्मी व स्पोर्ट्स चैनल्स देखने के अलावा शाम को मैदान में बॉलीबाल खेलते हैं। वहीं जेल प्रशासन की ओर से समय-समय पर बंदियों के लिए खेल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है। हाल ही में शतरंज प्रतियोगिता आयोजित की गई। बंदियों में नरमी और उनके व्यवहार में काफी बदलाव हुआ है। अब बंदी बात-बात पर झगड़ा नहीं करते। नींद नहीं आने वाले बंदियों की संख्या कम हो गई है। अब दूसरे चरण में महिला जेल में एलईडी लगवाए जाएंगे।
जेल में एलईडी भामाशाहों के सहयोग से लगे हैं। अब तक 42 एलईडी लग चुकी है। एलईडी में योगा, समाचार, फिल्मी और स्पोर्ट्स चार चैनल्स चलते हैं। रिमोर्ट जेल कार्यालय से संचालित हैं। बंदियों के लिए विभिन्न तरह की प्रतियोगिताएं कराई जाती है। हाल ही में शतरंज प्रतियोगिता कराई गई। ऐसे आयोजनों से निश्चिंततौर पर बंदियों के व्यवहार में सुधार हो रहा है। आर. अनंतेश्वरन, जेल अधीक्षक बीकानेर।