बीकानेर गोचर चारागाह की भूमि गायों के चारागाह के लिए दानदाताओं ने छुड़वाई है। गोचर का चारागाह के अलावा कानूनी रूप से अन्य कोई उपयोग नहीं हो सकता। सुजानदेसर गोचर क्षेत्र में ‘सिटी फोरेस्ट’, विकसित करना सरासर गोचर का अन्य उपयोग है जो कतई सही नहीं है। पेड़ लगाना भी उतना ही जरूरी है जितना चारागाह विकास, परंतु चारागाह की भूमि पर पेड़ लगाकर ओवर सिटी ग्रीन अभियान प्रशासन की ना समझी है। जिला कलक्टर गोचर के महत्व और अवधारणा को नहीं समझ पा रहे हैं। बेशक शहर हरा भरा होना ही चाहिए। वे ये काम पवित्र भावना से ही कर रहे हैं। परंतु यह एक प्राकृतिक पर्यावरण संरक्षण के काम की बलि चढ़ाकर दूसरा अच्छा काम करने जैसा है। ग्रीन सिटी बनाने के लिए जिला कलक्टर को चाहिए अन्यंत्र सरकारी भूमि चिन्हित करें और एडॉप्ट ए ट्री-मेक ऑवर सिटी ग्रीन’ अभियान चलाएं। यह भूमि आसानी से उपलब्ध हो गई तो मनमर्जी से उपयोग नहीं करें । पहले ही गोचर भूमि सीवरेज के लिए दे दी गई। इस से गोचर का क्या हश्र हो रहा है जाकर देखने की जरूरत है। व्यवस्था ना समझी में प्रकृति और कानून के साथ खिलवाड़ कर रही है। गोचर का प्राकृतिक रूप से महत्व, गोचर को लेकर पारित कानून और राज्य सरकार के नीतिगत निर्णय को कलक्टर साहब जांचने की जरूरत है। एडॉप्ट ए ट्री-मेक ऑवर सिटी ग्रीन’ अभियान के पवित्र कार्य के नाम पर कलक्टर साहब आप गोचर में प्राकृतिक पारिस्थिकी तंत्र का सत्यानाश कर रहे हैं। थोड़ा वनस्पति विशेषज्ञों से दिखा लें कि गोचर मरुस्थलीय प्राकृतिक वनस्पति की संरक्षण स्थली होती है। आपके अभियान से गोचर का दीर्घकाल में क्या हश्र होना है। यह वनस्पति विशेषज्ञ बता देगा।
आमजन पेड़ लगांए यह जीवन और प्राकृतिक चक्र के लिए जरूरी है, परंतु सुजानदेसर गोचर की 6200 बीघा भूमि को चरणबद्ध तरीके से सिटी फोरेस्ट के रूप में विकसित किया जाना बिल्कुल गलत है। चारागाह लगाए और प्राकृतिक रूप से लगने वाली वनस्पति का संरक्षण करें। पहले चरण में चार बीघा क्षेत्र में ‘एडॉप्ट ए ट्री-मेक ऑवर सिटी ग्रीन’ अभियान गोचर में शुरूआत की बजाय चार बीघा में वहां मरुस्थलीय वनस्पति का संरक्षण क्यों नहीं किया जा रहा है।
यह क्षेत्र हरा-भरा हो, संरक्षित रहे और सघन वन क्षेत्र विकास में आमजन की भावनात्मक भागीदारी हो, इसके लिए ‘एडॉप्ट ए ट्री’ कार्यक्रम की जरूरत नहीं है, बल्कि प्राकृतिक चारागाह और वनस्पति को संरक्षण देने की जरूरत है। हजारों पौध बारिश के बाद यहां उग आई हैं। ये वनस्पति भी उपयोगी है।गलती सुधार लें प्रशासन। जिला कलक्टर गोचर के आसपेक्ट को समझ लें। नहीं तो गोचर का पारिस्थितिक तंत्र नष्ट करने की जिम्मेदारी उनको लेनी होगी।