बीकानेर,आगे- आगे आचार्य श्री 1008विजयराज जी महाराज साहब, उनके साथ धवल वस्त्रों से सुशोभित संत और उनके पीछे श्री पद्मश्री जी म. सा. एवं श्री मृदुला श्री जी सहित 17 ठााणों के साथ श्री शान्त- क्रान्ति का समस्त श्रावक संघ विशाल जनसमूह के साथ रानी बाजार इण्डस्ट्रीयल एरिया स्थित सुराणा स्वाध्याय भवन से जब रवाना हुआ तब संपूर्ण मार्ग धर्ममय वातावरण से ओतप्रोत हो गया। पुरुष सफेद चोला-पायजामा पहने वहीं महिलाएं केसरिया साड़ी धारण किए हुए साथ चल रही थी। ना कोई गाजे-बाजे और ना कोई शोर-शराबा, हो रहे थे तो बस महाराज साहब के जय-जयकार के जयकारे जो यह बताने के लिए पर्याप्त थे कि महाराज साहब का साधारण तरीके से असाधारण आगमन हो रहा है। जिसे देख हर कोई श्रद्धा से सर झुकाकर आशीर्वाद लेने को आतुर दिखाई दे रहे थे। राह में पग-पग पर आशीर्वाद लेने के लिए महिलाओं व पुरुषों की व्याकुलता महाराज साहब के दर्शन पाकर शांत सी होती प्रतीत हो रही थी। जगह-जगह शीतल जल व ठण्डे पेय पदार्थ की सेवा देते सेवादार अपने को धन्य मान रहे थे। अवसर था आचार्य श्री विजयराज जी महाराज साहब के चातुर्मास को लेकर नगर प्रवेश का, जहां साथ चल रहे श्रावक-श्राविकाओं ने संपूर्ण विहार क्षेत्र को ‘जन्म धरा पर है अभिनंदन, विजय गुरु को शत-शत वंदन, जय जयकार, जय जयकार विजय गुरु की जय जयकार, विजय चमक रहे सूरज समाना’ सहित ऐसे ही गगन भेदी जयकारे लगाते हुए विभिन्न मार्गों से होते हुए बागड़ी मोहल्ला स्थित सेठ धनराज जी ढ्ढढा कोटड़ी चातुर्मास स्थल पर पहुंचे। धर्मसभा स्थल पर पहुंचने के बाद महाराज साहब ने कहा कि चातुर्मास के लिए जब नगर प्रवेश किया तब देखा की लोगों में भक्ति का भाव बढ़ रहा है। संतो का जिस प्रकार से इस पुण्य धरा पर स्वागत हुआ है, वह संतो का नहीं संस्कृति का स्वागत हो रहा है, क्योंकि संत अपने आप में संस्कृति होते हैं। श्री शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ के आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराज जी महाराज साहब ने शुक्रवार को चातुर्मास के लिए नगर प्रवेश के बाद प्रवास स्थल सेठ धनराज ढढ्ढा की कोटड़ी में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए यह भावना व्यक्त की। आचार्य श्री विजयराज जी महाराज साहब ने कहा कि नगर प्रवेश के दौरान परिवर्तन देखने में आया है। लोगों का धर्म में ध्यान बढ़ा है। यह बहुत अच्छी बात है। हालांकि आज संप्रदायवाद बढ़ा है, लेकिन पहले गुणावाद के भाव थे। आज चातुर्मास का प्रवेश है,प्रवेश होता है तो प्रस्थान भी होता है। चार माह बाद प्रस्थान भी होगा, लेकिन इस बीच प्रवास भी होता है और इस प्रवास का, साधु- साध्वियों का सानिध्य शहर वासियों को मिलेगा। मेरी यह भावना है कि बीकानेर इस अवसर का ज्यादा से ज्यादा लाभ लेगा, इस प्रकार की मेरी कामना है।
आचार्य श्री विजयराज महाराज साहब ने कहा कि सम्प्रदाय व्यवस्था है, धर्म हमारी आस्था है। धर्म के प्रति आस्था रखें, उसे बलवति करने का प्रयास सब मिलकर करेंगे। महाराज साहब ने बताया कि हमें त्यागी, तपस्वी, ज्ञानी और ध्यानी लोगों का सानिध्य मिले तो उसका लाभ अवश्य लेना चाहिए और आज वह अवसर आ गया है। आपको ऐसे गुणों की खान वाले संतो का सानिध्य मिलने वाला है। महाराज साहब ने अपनी भावना में कहा कि मुझे और कोई चाह नहीं है लेकिन मैं चाहुंगा कि बीकानेर से जिस प्रकार पहले भी संत संघ को मिले हैं, वैसे और रत्न इस धरा से निकले और संघ की शोभा बने, ऐसी मेरी भावना है। श्री शान्त- क्रान्ति श्रावक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष एवं प्रचार मंत्री विकास सुखाणी ने बताया कि इस अवसर पर नगर की प्रथम नागरिक महापौर सुशीला कंवर राजपुरोहित ने ढढ्ढा कोटड़ी में पहुंचकर आचार्य श्री से आशीर्वाद लिया एवं महाराज साहब को ‘बीकानेर रत्न’ की उपाधि लेकर शहर को अनुग्रहित करने का आग्रह किया। महापौर ने बीकानेर रत्न का अभिनन्दन पत्र महाराज साहब के चरणों में अर्पित किया। साथ ही उनके बीकानेर आगमन को धर्मधरा पर पुण्यदायी , फलदायी एवं हितकारी बताकर कृपा रखने की बात कही।
महिला मंडल द्वारा आचार्य श्री विजयराज जी महाराज साहब के आगमन पर ‘म्हारे आंगणीये में आज गुरुदेव पधार्या’ वहीं नवकार शाला के छोटे-छोटे बच्चों ने ‘नवकार शाला का राही हूं, संघ का सिपाही हूं’ स्वागत गीत प्रस्तुत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में मंदसौर से पधारे विरेन्द्र जैन, ब्यावर से आए माणकचंद , डॉ. अर्पित छाजेड़ सहित अन्य गणमान्यजनों ने आचार्यश्री के चरणों में वंदन कर अपनी भावना व्यक्त की। संतों एवं साध्वियों ने महाराज साहब का वंदन करते हुए ‘हे भंते करुं मैं वंदन, वंदन से कट जाते बंधन’ तथा गुरु चरणों में हर पल वंदन करती हूं, ‘हमने घर छोड़ा है, रिश्तों को छोड़ा है, गुरु चरण में आए हैं, नया जीवन बसाएंगे’ प्रस्तुत किया। अंत में मंगलिक का कार्यक्रम हुआ, तत्पश्चात गौतम प्रसादी के आयोजन में सभी ने भागीदारी निभाई।