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बीकानेर,प्रदेश ही नहीं जिले में नशाखोरी के मकड़जाल में फंस कर युवा अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं। प्रदेश में मेक इन इंडिया एवं आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियान तभी सफल होंगे जब देश का युवा वर्ग नशे के गर्त से बचेगा। युवाओं में बढ़ता नशे का चलन अच्छे संकेत नहीं हैं। बड़ी विड़म्बना है कि नशा बच्चों की पहुंच तक है। बड़ी आसानी से युवाओं व बच्चों को नशा मिल जाता है।

जिले में हर जगह परोसा जा रहा जहर
बीकानेर शहर में पीबीएम अस्पताल के सामने चाय के ठेलों पर, गंगाशहर, नयाशहर, भुट्टों का बास, जस्सूसर गेट, पूगल फांटा, नोखा, श्रीडूंगरगढ़, लूणकरनसर, नोखा, छतरगढ़, खाजूवाला, बज्जू, महाजन, कालू, पांचू, जसरासर आदि क्षेत्रों में पान के खोखे व चाय की दुकानों पर खुलेआम नशे के उत्पाद बेचे जा रहे हैं। इन दुकानों पर शराब, भांग, धतूरा और दवाओं में इस्तेमाल होने वाली नशे की चीजे बेहद आसानी से मिल रही है।

शहर में नशे का चलन ज्यादा
ग्रामीण परिक्षेत्र की बजाय शहर में युवा वर्ग नशीले पदार्थ की ओर ज्यादा अग्रसर हो रहे हैं। यहां कम उम्र के बच्चे गुटका, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट आदि का सेवन चोरी-छिपे व नीचे तबके के बच्चे तो खुलेआम नशा करते हैं, जिन्हें कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। बच्चों के अभिभाव इन पर जरा भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। मनोचिकित्सक डॉ. सिद्धार्थ असवाल बताते हैं कि नशा करने से व्यक्ति का खुद पर नियंत्रण नहीं रहता। साथ नशा दीमा के साथ-साथ त्वचा, दांत, मसूड़ों, नसों और मस्तिष्क, प्रजनन तंत्र, पाचन तंत्र, प्रतिरक्षी तंत्र, मासपेशी तंत्र व फेंफड़ों पर दुष्प्रभाव डालता है। मानसिक तनाव को खत्म करने के लिए युवा पीढ़ी शराब, अफीम, स्मैक, कोरेक्स, इंजेक्शन और नशे की गोलियों का सहारा ले रहे हैं।

इस तरह करते हैं नशा
– युवा व्हाइटनर, पंक्चर चिपकाने वाली क्रीम यानि फ्लूड हाथ पर लगाकर या फिर रुमाल आदि माध्यम से सुंघकर नशा करते हैं
– कफ सीरप कोरेक्स, दर्द विवारक आयोडेक्स को ब्रेड पर लगाकर खाते हैं
– शराब, भांग का गोला, चरस, अफीम व स्मैक आदि नशा विभिन्न तरह से लेते हैं।

डराते हैं यह आंकड़े
सरकारी आंकड़ों की मानें तो देश में करोड़ों लोग किसी न किसी तरह का नशा करते हैं। छह करोड़ लोग शराब, 80 लाख लोग भांग, 20 लाख लोग अफीम, छह लाख लोग नशे की दवाइयों का सेवन करते हैं। अकेले बीकानेर की बात करें तो हर 100 में से 13 व्यक्ति किसी न किसी तरह का नशा कर रहे हैं। इनमें 95 प्रतिशत पुरुष, पांच प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। पिछले 15 सालों में 21 साल की कम उम्र के किशोरों व युवाओं में नशे की प्रवृति दो प्रतिशत से 14 प्रतिशत तक बढ़ गई है।

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