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बीकानेर,जिले में करीब नौ साल पहले बोलेरो गाड़ी की टक्कर से पुलिसकर्मी की मौत के मामले में क्लेम उठाने के लिए फर्जी कहानी गढ़ने की बात सामने आई है। संबंधित थाना पुलिस ने गलत अनुसंधान कर जो व्यक्ति घटना के समय मौजूद ही नहीं था, उसके खिलाफ चालान पेश करवा दिया। इतना ही नहीं, इसी चालान को आधार बनाकर क्लेम का दावा भी पेश किया गया। मामला पकड़ में आने पर अब दुर्घटना दावा अधिकरण न्यायाधीश वंदना राठौड़ ने क्लेम के दावे को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने इसे गंभीरता से लेते हुए प्रकरण में अनुसंधान अधिकारी गोविंदराम एवं विक्रम सिंह एवं आरोप प्रस्तुत करने वाले थानाधिकारी के विरुद्ध बीकानेर रेंज पुलिस महानिरीक्षक एवं पुलिस महानिदेशक को कार्रवाई के लिए निर्देश दिया है।

मामला हादसे का था। इस प्रकरण में न्यायालय में मृतक पुलिसकर्मी राधाकिशन की बेवा शारदा देवी के अलावा तीन और गवाहों के बयान पेश किए गए। बीमा कंपनी की ओर से दो गवाहों के बयान कराए गए। मामले का प्रत्यक्षदर्शी पूर्णमल था, जो स्वयं पुलिसकर्मी है। उसने प्रथम सूचना लिखवाई थी, जिसमें बताया कि जब उसने गाड़ी को अच्छी तरह से चेक किया, तो गाड़ी में एक व्यक्ति घायल अवस्था में मिला था। घायल को बाहर निकाल कर नाम पता पूछा, तो उसने ढींगसरी निवासी शेरसिंह (25) पुत्र गोपालसिंह राजपूत बताया, जो उस समय गाड़ी चला रहा था। इसकी पुष्टि स्वंय शेरसिंह ने की कि वही गाड़ी चला रहा था।

इसके बावजूद अदालत में सिपाही पूर्णसिंह ने बयानों में हेरफेर करते हुए दो आदमियों की मौजूदगी बताया, जिसमें पिकअप के नीचे दबे आदमी का नाम शेरसिंह और भागने वाले का नाम चालक भवानीसिंह बताया। हकीकत यह थी कि गाड़ी के चालक का नाम भवानी सिंह जरूर था, लेकिन उस समय वह गाड़ी न तो चला रहा था और न ही मौके पर मौजूद था।

अदालत ने अनुसंधान की इस त्रुटि या जानबूझ कर की गई हेराफेरी को पकड़ लिया और क्षतिपूर्ति याचिका का आवेदन खारिज कर दिया। साथ ही धारा 140 एमवी एक्ट पूर्व में 30 सितंबर, 2014 में पारित किए जा चुके अवार्ड की राशि को भी बीमा कंपनी की ओर से प्रार्थीगण से नियमानुसार वापस प्राप्त करने के लिए अधिकृत किया।

30 अप्रेल, 2013 को पुलिसकर्मी राधाकिशन अपने साथियों के साथ रात्रिकालीन गश्त पर था। एक सूचना पर पिकअप गाड़ी को रोकने गया, तो गाड़ी चालक ने लापरवाही से वाहन चलाते हुए उसे टक्कर मार दी। इस दौरान पिकअप वाहन पलट भी गया। हादसे में गाड़ी में मौजूद शेरसिंह तो बच गया, लेकिन सिपाही राधाकिशन की मौत हो गई। मौके पर पहुंची स्थानीय पुलिस में से पूर्णसिंह खुद घटना में परिवादी बना, ​जिसने शुरुआती रिपोर्ट में गाड़ी में एक ही जने यानी शेरसिंह की मौजूदगी बताई। चूंकि गाड़ी सरकारी थी और उसके चालक के रूप में भवानी सिंह का नाम दर्ज था। आरोप है कि अनुसंधान अधिकारी ने हेरफेर करते हुए बाद में इसी भवानी सिंह को मौके से फरार बताते हुए आरोपी बना दिया और चालान पेश कर दिया।

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