बीकानेर (राजस्थान):तीन किलोमीटर की दूरी, तीन घंटों का समय और साठ से अधिक पड़ाव। कुछ ऐसा ही दृश्य आज यहां देखने को मिला जब युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने भीनासर से बीकानेर शहर की ओर मंगल प्रस्थान किया। लेकिन ये साठ से अधिक पड़ाव किसी थकान या विश्राम के कारण नहीं अपितु श्रद्धालुओं पर एक महान गुरू की कृपा के कारण थे। प्रातः जब आचार्यश्री ने भीनासर तेरापंथ भवन से विहार किया तो मार्ग में आने वाले सेंकड़ों श्रावक-श्राविकाएं आपने आराध्य से सिर्फ एक ही निवेदन कर रहे थे। गुरूदेव कृपा कराओ, कृपा कराओ। श्रद्धापूर्ण अर्जी पर मर्जी कराते हुए यात्रा के दौरान आचार्यश्री ने कई स्थानों पर जहां वृद्ध, अस्वस्थ श्रावक-श्राविकाओं को स्वयं घरों में जाकर दर्शन प्रदान किए वहीं अनेकों निवास स्थान एवं प्रतिष्ठानों के समक्ष मंगलपाठ प्रदान किया। श्रद्धालुओं के हुजूम से मार्ग का शायद ही कोई कोना होगा जो खाली नजर आ रहा हो। सड़कों के दोनों ओर वंदे गुरुवरम का घोष लगाते श्रद्धालु आस्था, उल्लास का दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे।
इस दौरान आचार्य श्री शांति निकेतन पधारे और वहां पर सेवा केंद्र में विराजित वृद्ध साध्वियों को दर्शन प्रदान कर व्यवस्था संबंधी चर्चा की। वर्षों बाद अपने गुरु के दर्शन कर वृद्ध साध्वियों ने अपने हृदयोदगार व्यक्त किए जिससे पूरा वातावरण भावपूर्ण बन गया। वहां से प्रस्थित हो गुरुदेव गंगाशहर स्थित तेरापंथ भवन पहुंचे एवं वहां और वृद्ध साधुओं से सुख पृच्छा की। गंगाशहर नागरिक परिषद कोलकाता द्वारा निर्मित आचार्य तुलसी आपातकालीन विभाग अस्पताल भी आचार्यश्री के चरणों से पावन बना।
शांतिदूत के बीकानेर शहर पदार्पण से उल्लसित श्रावकगण विशाल जुलूस के द्वारा स्वागत कर रहे थे। आचार्यश्री प्रवास हेतु श्री जैन पब्लिक स्कूल में पधारे। इस मौके पर राजस्थान के शिक्षा मंत्री श्री बीड़ी कल्ला, बीकानेर सिटी सीओ दीपचंद, जैन पाठशाला सभा अध्यक्ष श्री विजय कोचर, प्रिंसिपल सीमा जैन ने आचार्यश्री का स्वागत किया।
कार्यक्रम में आज पंजाब एवं इंदौर से भी हजारों की तादाद में श्रद्धालु आचार्यश्री से सन 2024 के चातुर्मास की अर्ज करने पहुंचे हुए थे। आचार्य श्री ने सभी का निवेदन सुनकर 05 सितंबर 2022 को अपने आगामी सन 2024 के चातुर्मास के घोषणा करने की बात कही।
श्री जैन पब्लिक स्कूल परिसर में बने केशी गौतम समवसरण में उपस्थित विशाल जनसमूह को आचार्यश्री ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि दुनिया में मंगलकामना की जाती है। विशेष अवसरों पर दूसरों के लिए मंगलकामना की जाती है और आदमी स्वयं का भी मंगल चाहता है। इसके लिए आदमी कुछ प्रयत्न भी किया जाता है। किसी विशेष कार्य को करने से पहले, यात्रा करने से पहले अथवा जीवन के किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है और कहीं मंगल वस्तुओं का उपयोग भी किया जाता है, किन्तु शास्त्रों में धर्म को सर्वोत्कृष्ट मंगल बताया गया है। मनुष्य के साथ यदि धर्म है तो मानना चाहिए कि मंगल उसके साथ है। अहिंसा, संयम और तप को धर्म बताया गया है। आदमी के जीवन में यदि अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म है तो मंगल की कामना पूर्ण हो सकती है।
आचार्यश्री ने मंगल प्रवचन के उपरान्त बीकानेर आगमन के संदर्भ में कहा कि सन् 2014 के बाद आना हुआ है। यहां की जनता में सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की चेतना का विकास होता रहे, तो सबका कल्याण हो सकता है।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त मुख्यमुनिश्री मुनि महावीरकुमारजी ने उद्बोधित किया। साध्वी कनरेखाजी ने श्रद्धाभिव्यक्ति दी। तत्पश्चात् अपनी सहवर्ती साध्वियों संग गीत का संगान किया। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री पदमचंद बोथरा, जैन पाठशाला सभा के अध्यक्ष श्री विजयचंद कोचर, तेरापंथ महिला मण्डल-बीकानेर की अध्यक्ष श्रीमती प्रेमदेवी नौलखा, श्री अनूपचंद बोथरा, श्री जेठमल बोथरा व दीप्ति बोथरा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। तेरापंथ समाज, बोथरा परिवार ने गीत का संगान किया। तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल ने संयुक्त रूप से त्यागवृष्टि कार्यक्रम को प्रस्तुत किया। पजांब से सैंकड़ों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने भी अपनी प्रस्तुति दी। जैन विश्व भारती व अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा आयोजित होने वाले सम्यक् दर्शन कार्यशाला-2022 तथा मेगा ब्लड डोनेशन के बैनर का लोकार्पण जैन विश्वभारती के अध्यक्ष श्री मनोज लुणिया व अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद
के अध्यक्ष श्री पंकज डागा ने किया।