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बीकानेर,शिक्षा मंत्री डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा कि इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना शहरी क्षेत्र के लिए लाभदायक साबित होगी। इसके माध्यम से शहर के ऐतिहासिक तालाबों का स्वरूप भी निखारा जाएगा।
डॉ. कल्ला रविवार प्रातः हर्षाेलाब तालाब में जिला प्रशासन और नगर निगम द्वारा आयोजित श्रमदान अभियान में भागीदारी निभा रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने शहर में अनेक तालाब और कुएं बनवाए। एक दौर में यह जलापूर्ति के प्रमुख साधन हुआ करते थे। नियमित देखभाल के अभाव में यह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इनकी पुरानी आभा वापस लौटे, इसके मद्देनजर इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत इनका जीर्णोद्धार करवाया जाएगा। उन्होंने नगर निगम को इसके लिए निर्देशित किया तथा तालाब की केचमेंट एरिया को अतिक्रमण मुक्त करने के निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने श्रमदान भी किया। उन्होंने हर्षाेलाब मंदिर परिसर में स्थित इंदिरा रसोई में कम संख्या में लाभार्थी आने के कारण, इसे अन्यत्र शिफ्ट करने के लिए निर्देशित किया, जिससे अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिल सके।
संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के. पवन ने कहा कि शहर के तालाबों, प्रमुख सर्किल्स और सड़कों में सतत रूप से स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। ऐतिहासिक तालाबों के रखरखाव की कार्ययोजना तैयार की गई है। बरसात से पूर्व इन्हें ठीक करने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने आमजन से ऐसे अभियानों में भागीदारी का आह्वान किया।
जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने कहा कि ऐतिहासिक तालाबों को साफ-सुथरा रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। प्रत्येक व्यक्ति को नियमित रूप से सामाजिक सरोकार के ऐसे कार्यों में भागीदारी निभानी चाहिए। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा शहर के लगभग सभी तालाबों का मुआयना किया गया है। इन स्थानों को बेहतर बनाना, प्रशासन की प्राथमिकताओं में है।
श्रमदान अभियान में नगर निगम आयुक्त गोपालराम बिड़दा के नेतृत्व में नगर निगम के कर्मचारी-संसाधनों सहित मौजूद रहे तथा क्षेत्र की सघन सफाई की। वहीं अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) ओमप्रकाश, अतिरिक्त कलक्टर (नगर) पंकज शर्मा, नगर विकास न्यास के अधीक्षण अभियंता राजीव गुप्ता, श्री अमरेश्वर हर्ष जातीय ट्रस्ट के अध्यक्ष ओ.पी. हर्ष, उपाध्यक्ष एड. प्रेमनारायण हर्ष, कोषाध्यक्ष राजेन्द्र हर्ष, एड. ओमप्रकाश हर्ष, रामकुमार हर्ष, ओंकार नाथ हर्ष, प्रमोद हर्ष आदि मौजूद रहे। श्रमदान में एनएसएस और एनसीसी कैडेट्स और विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि और स्थानीय नागरिकों ने भी भागीदारी निभाई।

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