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बीकानेर, के औद्योगिक विकास में विडम्बना यह है कि खनिज संपदा का प्रचुर भंडार हैं इन खनिजों के उत्पाद बाहर बनते हैं क्योंकि यहां खनिज आधारित उद्योग के लिए आधारभूत सुविधाएं नहीं है। ऊंन, खाद्य प्रसंस्करण, सिरेमिक्स जैसे उद्योगों को नए औद्योगिक बीकानेर के निर्माण में सरकार की समर्थक नीति से रोजगार और आर्थिक समृद्धि का आधार बनाया जा सकता है। यह बात वेटरनरी के एबीजी सेमिनार हाल में आयोजित संवाद कार्यक्रम में विभिन्न सेक्टर के उद्योग पतियों ने एक स्वर में कही। इस बात पर रोष जताया कि ड्राई पोर्ट, गैस पाईप लाइन,टेक्सटाइल पार्क, कारपेट व हेंडीक्राफ्ट क्लस्टर जैसी जरूरतों पर जनप्रतिनिधि व सरकार चुप है। संवाद कार्यक्रम में उद्योग जगत की छह एसोसिएशन के 30 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।। संवाद कार्यक्रम में सिरेमिक्स उद्योग के सिरमौर के बी गुप्ता ने कहा कि बीकानेर में ओद्योगिक विकास भावी पीढ़ी की आजीविका, आर्थिक सम्रद्धि के लिए जरूरी है। खनिज आधारित उद्योगों के लिए हम उपलब्ध संसाधनों के समुचित उपयोग पर ध्यान देने की जरूरत है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को आगे बढ़ाने में सरकारी नीतियों के कारण होने वाली दिक्कतों पर आशीष कुमार अग्रवाल ने विस्तार से जानकारी दी। ऊंन उद्योग के विकास के समर्थक नीतियों पर चम्पक मल सुराणा, के एल बोथरा औऱ अशोक सुराणा ने सभी पहलू रखे। जय किसान अग्रवाल, राज कुमार पच्चीसिया, बसन्त नवलखा ने दाल तेल उद्योग तथा अन्य औद्योगिक मुद्दे उठाए। हेंडीक्राफ्ट उद्योग का बीकानेर में क्लस्टर बनाने की मांग डी एम स्वामी ने उठाई। इस संवाद कार्यक्रम में डॉ एस बी पुरोहित, गजेंद्र सांखला, अजय पुरोहित समेत अन्य लोगों ने विचार रखे।

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