बीकानेर,राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने यूजीसी रेगुलेशन 2018 को राजकीय महाविद्यालयों के हितार्थ अविलंब लागू करने की मांग की है। रुक्टा ( राष्ट्रीय) के महामंत्री डॉ. सुशील कुमार बिस्सू ने उक्त आशय से सम्बद्ध 4 बिंदुओं पर ध्यानाकर्षण कराते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अविलंब कार्रवाई किये जाने का आग्रह किया है। डॉ. बिस्सू ने कहा कि सातवें वेतन-आयोग के लागू होने के पश्चात यूजीसी रेगुलेशन 2018 का गज़ट-प्रकाशन 18 जुलाई 2018 को किया जा चुका है। सामान्यतः प्रत्येक वेतन आयोग के बाद यूजीसी अपना रेगुलेशन जारी करता है जिसके अनुरूप ही देश भर के महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय-शिक्षकों की सेवा शर्तों, कैरियर प्रोन्नति योजना, प्राचार्य पद पर प्रमोशन आदि के नियमों में बदलाव होता रहा है। पूर्व में भी राजस्थान सरकार ने नए नियम रेगुलेशन के गज़ट में प्रकाशन की तिथि से ही लागू किये थे।
संगठन के अध्यक्ष डॉ दीपक शर्मा ने बताया कि यह बेहद दुःखद है कि राज्य सरकार की महाविद्यालय-शिक्षा के प्रति चलती उदासीनता के कारण रेगुलेशन के प्रकाशित होने के लगभग 4 साल बीतने पर भी आज दिनांक तक यूजीसी रेगुलेशन 2018 राजस्थान के महाविद्यालय-शिक्षकों के लिए लागू नहीं हुआ है।
इस रेगुलेशन के द्वारा यूजीसी ने उच्च शिक्षा से जुड़े नियमों में काफी बदलाव किया है; इसमें महाविद्यालय शिक्षकों की न केवल कैरियर प्रोन्नति योजना का सरलीकरण किया है, अपितु महाविद्यालय में प्रोफेसर पदों की सीमा को समाप्त कर प्रत्येक पात्र महाविद्यालय-शिक्षक को प्रोफेसर बनाए जाने का प्रावधान कर महाविद्यालय शिक्षकों को कैरियर प्रोन्नति योजना मे एक पदोन्नति का अवसर दिया है।
यूजीसी रेगुलेशन 2018 देश के अधिकांश राज्यों में लागू हो चुका है। राज्य सरकार ने भी राज्य के शासकीय विश्वविद्यालयों में इसे लागू करने के लिए अगस्त 2020 में आदेश जारी कर दिए थे। किंतु राज्य के महाविद्यालयों के लिए इसे जारी नहीं करना समझ के परे है।
उच्च शिक्षा के प्रति राज्य सरकार के नकारात्मक रवैये से महाविद्यालय-शिक्षकों में गहरा रोष है। यूजीसी रेगुलेशन 2018 को राज्य के महाविद्यालयों पर लागू होने से राज्य के कॉलेज शिक्षा विभाग के सह आचार्य और सहायक आचार्य केरियर एडवांसमेंट योजना से सीधे-सीधे लाभान्वित होंगे।