बीकानेर,राजस्थान मे कल 10 जून को राज्यसभा चुनाव होने से पहले भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने कांग्रेस को झटका दिया है। बीटीपी ने अपने दोनों विधायकों को राज्यसभा चुनाव में शामिल नहीं लेने के लिए व्हीप जारी किया है।सीएम गहलोत से मुलाकात के एक दिन बाद ही बीटीपी के प्रदेश अध्यक्ष वेलाराम ने बुधवार देर शाम व्हिप जारी कर दिया। इसमें दोनों विधायकों को पार्टी ने सख्त हिदायत दी है कि उनकी पार्टी राज्यसभा चुनाव में भाग नहीं लेगी। हालांकि, पार्टी के इतर चल रहे दोनों विधायक वोटिंग प्रक्रिया में शामिल होते है या नहीं, इस पर सबकी नजर रहेगी। प्रदेश अध्यक्ष ने बहिष्कार का मुख्य कारण आदिवासी इलाकों में विकास की अनदेखी बताया है।
दोनों विधायक पार्टी लाइन से इतर चल रहे हैं
हालांकि बीटीपी से अलग चल रहे दोनों विधायकों पर इस व्हिप का कितना असर होगा ये देखने की बात है। दोनों विधायक राजकुमार रोत और रामप्रसाद डिंडोर पार्टी लाइन से इतर चल रहे हैं। सागवाड़ा से बीटीपी विधायक रामप्रसाद डिंडोर और चौरासी से विधायक राजकुमार रोत ने पूर्व में भी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश नहीं माने थे। पायलट कैंप के बगावत के समय भी बीटीपी के दोनों विधायकों ने पार्टी लाइन से इतर होकर निर्णय लिया था। फिलहाल बीटीपी के दोनों विधायक कांग्रेस के पक्ष में मतदान करेंगे या नहीं, इसकों लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि, बीटीपी के दोनों विधायक उदयपुर में चल रही कांग्रेस की बाड़ेबंदी में शामिल हुए थे। माना जा रहा है कि बीटीपी को दोनों विधायक कांग्रेस के पक्ष में ही मतदान करेंगे। दोनों विधायकों का प्रदेश अध्यक्ष वेलाराम से साथ मतभेद रहे हैं। राज्य में हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान भी दोनों विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष द्वारा घोषित प्रत्याशी को विरोध किया था। अब देखना होगा कि दोनों विधायकों का वोट कांग्रेस को मिलता या फिर नहीं। उदयपुर में बाड़ेबंदी के दौरान गृह राज्य मंत्री राजेंद्र यादव ने कहा कि बीटीपी को मांगे मान ली गई है। सरकार काकरी डूंगरी प्रकरण की जांच कराएगी। आदिवासी युवकों पर दर्ज मुकदमों का निस्तारण किया जाएगा। क्योंकि मुकदमों की वजह से युवकों को नौकरी नहीं मिल पा रही है।
अब यह रह सकता है गणित
मौजूदा संख्या बल के हिसाब से कांग्रेस के पास 108, भाजपा 71, आरएलपी 3, आरएलडी 1, माकपा 2, निर्दलीय 13 विधायक है। बीटीपी के राज्यसभा चुनाव से बाहर रहने पर अब तक की तस्वीर के हिसाब से कांग्रेस के पास 123 वोट और भाजपा के पास 74 वोट दिखाई दे रहे हैं। निर्दलीय विधायक बलजीत यादव ने अपना रुख साफ नहीं किया है। हालांकि, बलजीत यादव कांग्रेस की बाड़ेबंदी में शामिल हुए थे।
सुभाष चंद्रा ने किया क्राॅस वोटिंग का दावा
भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा ने दावा किया था कि कांग्रेस के 8 विधायक क्राॅस वोटिंग करेंगे। विधानसभा में मौजूदा संख्या बल के हिसाब से BJP एक सीट पर जीत रही है। दूसरी सीट के लिए उसे 11 वोट चाहिए। भाजपा ने घनश्याम तिवाड़ी को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। सुभाष चंद्रा भी मैदान में है। भाजपा के 71 विधायक हैं। एक सीट जीतने के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिए। दो उम्मीदवारों के लिए 82 वोट चाहिए। भाजपा समर्थक दूसरे उम्मीदवार को जीतने के लिए 11 वोट कम पड़ रहे हैं। अगर हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के 3 विधायकों का सपोर्ट मिलने से कुल संख्या 74 हो जाती है। फिर दूसरे उम्मीदवार के लिए 8 वोटों की कमी रहती है। कांग्रेसी खेमे में सेंध लगाकर आठ वोट का प्रबंध करने पर ही भाजपा समर्थक दूसरा उम्मीदवार जीत सकता है। कांग्रेस के रणनीतिकार कांग्रेस के 108, 13 निर्दलीय, एक आरएलडी, दो सीपीएम और दो बीटीपी विधायकों को मिलाकर 126 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं। इसलिए मुकाबला बहुत रोचक है।