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जयपुर: प्रदेश में करीब 456 सरकारी काॅलेजाें में से 386 महाविद्यालयों में प्रिंसिपल के पद खाली हैं। सिर्फ 70 काॅलेजाें में ही प्रिंसिपल कार्यरत हैं। वहीं प्रदेश की 15 लाॅ काॅलेजाें में से एक में भी स्थायी प्राचार्य नहीं हैं। जबकि इन काॅलेजाें में एलएलएम व पीजी डिप्लाेमा भी चल रहे हैं। प्रिंसिपल नहीं होने से काॅलेजों के विकास व संसाधन संबंधी कार्य प्रभावित हाे रहे हैं। सबसे ज्यादा असर शिक्षण गतिविधियाें पर पड़ता है। ये काॅलेज कार्यवाहक प्रिंसिपल के भरोसे चल रहे हैं। प्रिंसिपल के पदाें के लिए डीपीसी नहीं की जा रही है जिससे ये पद रिक्त पड़े हैं।

वहीं पुराने प्रिंसिपल्स हर वर्ष रिटायर हाेते जा रहे हैं। गत वर्ष तक प्रदेश में 367 काॅलेज थे। वहीं, राज्य सरकार ने 2022-23 के बजट घाेषणा में 89 नए काॅलेज और खाेल दिए।

*यूजीसी रेगुलेशन-2018 लागू नहीं हुआ*

यूजीसी रेगुलेशन-2018 अभी लागू नहीं हुआ है। इसके कारण प्रिंसिपल के पदाें पर डीसीपी नहीं हाे पा रही है। रेगुलेशन 2018 ये नियम लागू किए गए थे कि प्रिंसिपल के पास पीएचडी डिग्री हाेना जरूरी है। चाहे वे वरिष्ठता में आ रहा हाे लेकिन पीएचडी जरूरी है। वाइस प्रिंसिपल का पद खत्म कर दिया गया। पहले यूजी व पीजी के प्रिंसिपल अलग-अलग हाेते थे अब यह नियम भी समाप्त कर दिया गया है।

*असिस्टेंट व एसाेसिएट प्राेफेसर के 3 हजार पद खाली*

काॅलेजाें में असिस्टेंट प्राेफेसर्स के करीब 3800 पद खाली हैं। सरकारी काॅलेजाें में 23 लाइब्रेरियन व 28 पीटीआई कार्यरत हैं। काॅलेजाें में 417 लाइब्रेरियन के पद व 412 पीटीआई के पद खाली हैं। रुक्टा राष्ट्रीय के प्रदेश महामंत्री डाॅ. सुशील कुमार बिस्सु ने बताया कि काॅलेजाें में प्राचार्यों के अधिकांश पद रिक्त हैं जिससे महाविद्यालयों में पढ़ाई, व दैनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं।

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