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बीकानेर,ट्रांसफर का इंतजार कर रहे शिक्षा विभाग के करीब एक लाख टीचर्स काे अभी कुछ दिन और इंतजार करना होगा। दरअसल, शिक्षा विभाग में तबादलों के सामान्य नियम राज्यसभा चुनाव के बाद ही तय हो सकेंगे। इसके बाद ही ट्रांसफर के लिए एप्लीकेशन लेने का कार्यक्रम तय होगा। दरअसल, शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला सहित पूरी सरकार ही इन दिनों उदयपुर में हो रही बाड़ाबंदी में शामिल है।

राज्य सरकार ने ट्रांसफर के लिए बेन तो हटा दिया लेकिन किसके ट्रांसफर होंगे और कब आवेदन लिए जाएंगे? इस बारे में कोई विभाग नीति तय नहीं कर पाया है। सबसे ज्यादा इंतजार शिक्षा विभाग में है, जहां ग्रेड थर्ड के करीब एक लाख टीचर्स ट्रांसफर की कोशिश में जुटे हैं। इनमें 85 हजार टीचर्स ने तो कुछ महीने पहले ही आवेदन किए थे लेकिन बाद में ट्रांसफर नहीं किए गए। पहले तो सरकार को तय करना है कि ग्रेड थर्ड के टीचर्स के ट्रांसफर होंगे या नहीं? अगर ट्रांसफर होंगे तो एक नीति तय की जाएगी। फिलहाल ऐसी कोई नीति नहीं है, जिसके आधार पर एप्लीकेशन ली जाए।

अतिरिक्त शिक्षा सचिव स्तर पर ट्रांसफर की सामान्य पॉलिसी फिलहाल बनाई जा रही है, जिसे अंतिम रूप शिक्षा मंत्री देंगे। वहीं ग्रेड थर्ड के ट्रांसफर होने अथवा नहीं होने की स्वीकृति तो मुख्यमंत्री कार्यालय से मिलेगी। ऐसे में 11 जून के बाद ही इस आशय के प्रस्ताव मुख्यमंत्री कार्यालय को भेजे जाएंगे, जहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही ग्रेड थर्ड के ट्रांसफर पर अंतिम निर्णय होगा। माना जा रहा है कि शिक्षा मंत्री 11 जून के बाद फिर से ऑफिस पहुंचेंगे। इसके बाद इस फाइल को आगे बढ़ाया जाएगा।

वहीं सीनियर टीचर, लेक्चरर, हेडमास्टर, प्रिंसिपल सहित अन्य पदों पर ट्रांसफर होने तय माने जा रहे हैं। कुछ महीने पहले ही राज्यभर में इन्हीं पदों के ट्रांसफर हुए थे। पिछली बार सुविधाजनक स्थान लेने से वंचित रहे टीचर्स काे अब मौका मिल सकता है।

ट्रांसफर पॉलिसी में भले ही कांग्रेस विधायकों की सिफारिश का जिक्र नहीं होगा, लेकिन स्पष्ट रूप से कांग्रेस विधायकों की डिजायर को ही महत्व दिया जाएगा। कांग्रेस विधायकों के अलावा समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायकों को भी तबादलों में खास महत्व दिया जाएगा। जिन एरिया में भाजपा के विधायक जीते हुए हैं, वहां कांग्रेस के हारे हुए प्रत्याशी डिजायर कर सकेंगे।

वैसे शिक्षा विभाग के सेवा नियमों में स्पष्ट है कि कोई भी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक पार्टी का सदस्य नहीं हो सकता। राजनीतिक व्यक्तियों से अपने काम के लिए सिफारिश नहीं करवा सकता। इसके बाद भी राज्यभर में अघोषित तरीके से विधायकों की सिफारिश पर ही ट्रांसफर होंगे।

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