बीकानेर,Rajya Sabha Election से पहले राजस्थान की Ashok Gehlot सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने चुनाव घोषणा पत्र में शामिल खान मजदूर कल्याण बोर्ड के गठन को हरी झंडी दे दी है। इसमें अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के अलावा पांच अन्य लोगों को सदस्य के रूप में खपाया जा सकेगा यानी सरकार विधायकों को खुश करने के लिए बोर्ड में राजनीतिक नियुक्ति कर सकती है।*
जोधपुर. Rajya Sabha Election से ठीक पहले राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने चुनाव घोषणा पत्र में किया गया खान मजदूर कल्याण बोर्ड बनाने का वादा आखिर तीन साल बाद पूरा कर दिया। हाल ही श्रम विभाग ने कल्याण बोर्ड बनाने को मंजूरी दी है। खान श्रमिक लम्बे समय से बोर्ड बनाने की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बना रहे थे। बोर्ड बनने से प्रदेश के लगभग 25 लाख श्रमिकों को प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से लाभ मिलेगा।
श्रम, कारखाना व बॉयलर व ईएसआइ विभाग के शासन सचिव भानु प्रकाश एटरू ने गत 16 मई को कल्याण बोर्ड के गठन के आदेश जारी किए। इसमें अध्यक्ष व उपाध्यक्ष तथा पांच गैर सरकारी सदस्यों का मनोनयन सरकार करेगी। श्रम आयुक्त बोर्ड के पदेन सचिव होंगे।
गहलोत सरकार का यह कदम ऐसे वक्त में आया है, जब सरकार को राज्यसभा चुनाव से पहले विधायकों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। कल्याण बोर्ड में सरकार अब अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद पर दो नेताओं को राजनीतिक नियुक्ति दे सकेगी। वहीं पांच गैर सरकारी सदस्य भी मनोनीत हो सकेंगे।
सात विभागों के अफसर होंगे शामिल
बोर्ड में सात विभागों के उच्चाधिकारी भी सदस्य होंगे। इनमें खान व पेट्रोलियम विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, वित्त, उद्योग व वाणिज्य, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा वन-पर्यावरण विभाग के प्रमुख शासन सचिव सदस्य होंगे। इनके अलावा श्रम व नियोजन विभाग तथा सामाजिक न्याय व आधिकारिता विभाग के शासन सचिव भी बोर्ड में सदस्य होंगे।
तीन साल होगा कार्यकाल
बोर्ड का कार्यकाल तीन साल का होगा। बोर्ड खान मजदूरों की समस्याओं, सिलिकोसिस पीड़ित श्रमिकों के कल्याण, खान श्रमिकों की सुरक्षा व अन्य कल्याणकारी गतिविधियों पर विचार विमर्श कर सुझाव देगा। बोर्ड का संचालन व वित्तीय व्यवस्था विभिन्न राजकीय प्रतिनिधि करेंगे।
फैक्ट फाइल
33 हजार खनन लीज व क्वारी लाइसेंस प्रदेश में
56 तरह के प्रधान व अप्रधान खनिजों का दोहन
25 लाख श्रमिक प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से नियोजित
राजस्थान पहला राज्यये बोर्ड बनाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य है। सरकार के इस निर्णय से 25 लाख खान मजदूर अपनी पहचान से लेकर स्वाभिमान तक का सफर पूरा करेंगे। बोर्ड श्रमिकों की मूलभूत सुविधाओं से लेकर सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करवाने में कारगर साबित होगा। साथ ही खनन उद्योग को गौरवपूर्ण मुकाम तक पहुंचाएगा। खान मजदूर सुरक्षा अभियान (एमएलपीसी) एक दशक से बोर्ड गठन का अनुरोध कर रहा था। गत विधानसभा चुनाव से पहले जनप्रतिनिधियों पर लगातार दबाव बनाया गया। कांग्रेस ने बोर्ड के गठन को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया। अब जाकर यह प्रयास सफल हुआ है।