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बीकानेर,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक्शन टेकन कैंप के समापन सत्र में बोलते हुए सचिन पायलट के बयान पर नाम लिए बिना पलटवार किया। गहलोत ने कहा- हमारी राजस्थान, छत्तीसगढ में सरकार रिपीट हो, एमपी में सरकार बने तब हम 2024 का लोकसभा चुनाव जीत पाएंगे। 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी अभी से करनी होगी। हारे क्यों, जीते क्यों यह तो सबको मालूम है। इस पर चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है। जिस मुख्यमंत्री की सरकार चली जाती है, आप सोच सकते हैं कि उस पर क्या बीतती होगी।

राहुल गांधी की बात आंखें खोलने वाली है
गहलोत ने कहा- जनता से कनेक्शन खत्म हो गया, राहुल गांधी का यह शब्द आंखें खोलने वाला है। इंदिरा गांधी के वक्त भी हार हुई, लेकिन उस वक्त इंदिरा गांधी थी। ढाई साल बाद वापस इंदिरा गांधी राज में आ गई। कई उतार चढ़ाव आए। चिंतन करें तो आज और उस समय की हालत में बहुत अंतर है। आज हमें 100 गुना मेहनत करने की जरूरत है।

गहलोत ने कहा- चंद्रभानजी अभी कह रहे थे कि संगठन कमजोर है। वे राष्ट्रीय संदर्भ में कह रहे थे, सब जगह कांग्रेस की क्या हालत है, उससे आप वाकिफ है। जीत में हर कोई भागीदार बनना चाहता है, लेकिन हार का भागीदार कोई नहीं बनना चाहता।

विधायकों को सीबीआई-ईडी का नोटिस मिल गया
गहलोत ने कहा- सीबीआई, ईडी का दुरुपयोग हो रहा है। सोनिया गांधी को ईडी का नोटिस आ गया। आज वाजिब अली हमारे विधायक हैं, उन्हें ईडी का नोटिस आ गया। ओमप्रकाश हुड़ला को सीबीआई नोटिस आ गया, अभी टीवी पर चल रहा था। इतना आतंक मचा रखा है इन लोगों ने।

इधर, विधायकों की जासूसी शुरू चिंतन शिविर से इतर राज्यसभा चुनावों से पहले कांग्रेसी खेमे के नाराज विधायकों ने सियासी हलचल बढ़ा दी है। नाराज चल रहे विधायकों को मनाने के साथ डैमेज कंट्रोल का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संभाल लिया है।

विधायकों पर इंटेलिजेंस की निगरानी बढ़ा दी गई है। छह विधायकों पर इंटेलिजेंस और पुलिस की खास नजर है। इन विधायकों के मिलने-जुलने वालों तक पर निगाह रखी जा रही है। इससे राज्यसभा चुनावों से पहले एक बार फिर विधायकों की जासूसी का मुद्दा गर्मा सकता है।

सियासी क्राइसिस मैनेजमेंट का अनुभव रखने वाले पुलिस अफसर पर्दे के पीछे एक्ट‌िव
सचिन पायलट खेमे की जुलाई 2020 में हुई बगावत और इससे पहले जून 2020 में हुए राज्यसभा चुनावों में भी यही पैटर्न अपनाया गया था। बताया जाता है कि पॉलिटिकल क्राइसिस मैनेजमेंट का अनुभव रखने वाले पुलिस अफसर पर्दे के पीछे एक्टिव हो गए हैं। इंटीग्रेटेड रूप से निगरानी और क्राइसिस मैनेजमेंट शुरू कर दिया गया है। नाराज विधायकों को मनाने के लिए सीएम खुद सक्रिय हैं।

BJP समर्थक निर्दलीय कैंडिडेट सुभाष चंद्रा के कांग्रेसी खेमे के कुछ विधायकों से अच्छे रिश्ते हैं। सुभाष चंद्रा और BJP नेताओं ने कांग्रेसी खेमे के कुछ विधायकों से संपर्क किया है, जिसके बाद निगरानी तंत्र और मजबूत कर दिया गया है।

उधर कांग्रेस विधायकों की गुरुवार से उदयपुर में बाड़ेबंदी शुरू हो रही है। कुछ विधायक उदयपुर पहुंच गए हैं। कांग्रेस विधायक रफीक खान और सीएम के खास नेताओं ने कल ही उदयपुर पहुंचकर चिंतन शिविर वाले होटल ताज अरावली में बाड़ेबंदी की व्यवस्थाएं संभाल ली हैं। आज शाम तक जयपुर में चल रहे कांग्रेस के चिंतन शिविर पर एक्शन टेकन कैंप से विधायकों को सीधे उदयपुर ले जाया जाएगा।

बीटीपी के दो विधायक, तीन निर्दलीय ने कांग्रेसी खेमे की चिंता बढ़ाई
दो दिन पहले मुख्यमंत्री निवास पर मिलने के लिए नहीं पहुंचे तीन विधायकों के अलावा बीटीपी ​के दो विधायकों से संपर्क साधा गया है। बीटीपी के दोनों विधायकों ने अभी स्टैंड साफ नहीं किया है।

बीटीपी के विधायक आदिवासी को कांग्रेस से राज्यसभा उम्मीदवार नहीं बनाए जाने के मुद्दे के अलावा पहले के लंबित मुद्दों का समाधान नहीं होने से नाराज हैं। निर्दलीय बलजीत यादव, रमिला खड़िया भी अब तक नहीं माने हैं।

सुरेश टाक,बाबूलाल नागर बाड़ेबंदी से पहले उदयपुर पहुंचे
किशनगढ़ विधायक सुरेश टाक और सीएम के खास निर्दलीय बाबूलाल नागर बाड़ेबंदी से पहले ही उदयपुर पहुंच गए हैं। वहीं देर रात खुशवीर सिंंह जोजावर भी होटल पहुंच गए। सुरेश टाक और ओमप्रकाश हुड़ला सीएम से मिल चुके हैं, लेकिन इनके BJP के पुराने बैकग्राउंड को देखते हुए इन पर निगरानी रखी जा रही है। सुरेश टाक को इसीलिए पहले उदयपुर भेजा गया है।

नाराज विधायकों के पास सरकार पर प्रेशर बनाने का अंतिम मौका
राजनीतिक जानकारों के मुता​बिक सरकार से नाराज चल रहे कांग्रेस, निर्दलीय और बीटीपी विधायक अपने-अपने पैंडिंग कामों और मुद्दों की वजह से नाराज हैं। राज्यसभा चुनाव में इनके वोट चाहिए। इस सरकार के कार्यकाल में यह आखिरी राज्यसभा चुनाव है, इसलिए विधायक भी जानते हैं कि इसके बाद प्रेशर बनाने का इतना बेहतरीन मौका नहीं मिलेगा। नाराजगी जाहिर करने के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है।

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