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बीकानेर,जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने कहा कि ऊंट उत्पादों की व्यापक मांग को देखते हुए ऊंटपालन जिले के ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
जिला कलक्टर ने राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परियोजना की बुधवार को आयोजित मासिक समीक्षा बैठक में ऊंट पालन और ऊंट दूग्ध उत्पादों के प्रसंस्करण प्रशिक्षण व स्वयं सहायता समूह गठित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से ऊंट दुग्ध उत्पादों की मांग बढ़ी है। ऐसे में स्वयं सहायता समूह ऊंटपालन को व्यावसायिक तौर पर अपना कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। इसके लिए अतिरिक्त प्रयास किए जाएं। भगवती प्रसाद ने कहा कि ऊंट के दूध की औषधीय उपयोगिता वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है। बीकानेर ग्रामीण क्षेत्र में ऊंटपालन की अच्छी संभावनाएं भी है। इस विषय पर लोगों को जागरूक व प्रेरित करने की आवश्यकता है।
ग्वारपाठा उत्पादों पर भी करें काम
जिला कलक्टर कलाल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में चारागाह विकास के लिए भी स्वयं सहायता समूह ग्राम पंचायतों के साथ जुड़ें। चारागाह क्षेत्रों में ग्वारपाठा व ग्वारपाठा उत्पादों के लिए समूह सदस्य प्रशिक्षण लें और उत्पाद तैयार किए जाएं। इस कार्य में ग्राम पंचायत द्वारा स्वयं सहायता समूहों की मदद की जाएगी।
जिला कलक्टर ने कहा कि इस क्षेत्र में भेड़ और बकरी पालन की भी व्यापक संभावना है। यहां ऊन व मीट के लिए काफी कच्चा माल उपलब्ध है। उन्होंने मीट के लिए कच्चे माल की एक बड़ी मंडी तैयार करने की दिशा में काम करने के निर्देश दिए। इसके लिए क्रेता-विक्रेताओं से सम्पर्क कर इस व्यवसाय को संगठित स्वरूप देने के प्रयास किए जाएं। जिला कलक्टर ने लक्ष्य के अनुसार स्वयं सहायता समूह बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि एसएचसी के सदस्यों को व्यक्तिगत व्यवसाय के लिए भी प्रेरित किया जाए, साथ ही बैंक आदि से ऋण दिलाने में सदस्यों की मदद की जाए। बैठक में जिला परिषद की मुख्य कार्यवकारी अधिकारी नित्या के ने बताया कि वर्तमान में चार स्थानों पर स्वयं सहायता समूहों को चारागाह विकास करने की स्वीकृति मिली है। बैठक में राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परियोजना के जिला प्रबंधक तेज सिंह सहित ब्लॉक प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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