बीकानेर,भारतीय रेलवे पर रेल सुविधा से वंचित क्षेत्रों में भी रेलों का आवागमन हो इसके लिये रेलवे प्राथमिकता के साथ कार्य कर रहा है। माननीय रेलमंत्री श्री अश्विनी वैष्णव जी ने रेल से वंचित क्षेत्रों में रेल को पहुंचाने के लिये विशेष तौर पर योजनाएं बनाकर कार्य लक्ष्यानुसार पूरा करने पर बल देकर दिशा-निर्देश प्रदान किये। भारतीय रेल ने जम्मू कश्मीर से लेकर सुदूर पूर्वी राज्यों के अनेक क्षेत्रों को चिन्हित किया गया, जहां पर रेल सुविधा उपलब्ध नहीं थी और व्यावहारिक रूप से उन क्षेत्रों में इसकी आवश्कता भी थी। इसी ध्येय को ध्यान में रखकर नई योजनाएं बनाई गई। इन योजनाओं के पूर्ण होने पर कुछ समय पूर्व इन क्षेत्रों में रेल लाइन एक स्वप्न प्रतीत होती थी आज वहॉ रेलगाडियों का संचालन सफलतापूर्वक किया जा रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर भी विगत 8 वर्षों में आधारभूत ढांचे को सुदृढ़ करने के लिये नई लाइनों, दोहरीकरण व आमान परिवर्तन के कार्य तीव्रगति से किये गये है।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार महाप्रबन्धक विजय शर्मा के दिशा-निर्देशन में उत्तर पश्चिम रेलवे पर आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने पर विशेष बल दिया जा रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर 2014 से अब तक 150 किलोमीटर नई लाइन, 664 किलोमीटर दोहरीकरण व 815 किलोमीटर आमान परिवर्तन किया गया है।
वर्ष 2014 से अब तक उत्तर पश्चिम रेलवे पर 150 किलोमीटर नई लाइनों का निर्माण किया गया है। जिनमें दौसा-डीडवाना, थ्यात हमीरा-सानू, बांगडग्राम-रास, पीपलाई-गंगापुरसिटी व सादुलपुर बाई पास सम्मलित है। पीपलाई-डीडवाना रेलखण्ड को वर्ष 2022-23 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके पूर्ण होने से दौसा-गंगापुर नई रेल लाइन का सम्पूर्ण कार्य पूरा हो जायेगा। राजस्थान में रेल से वंचित क्षेत्रों को देश के रेल नेटवर्क से जुडने से विकास को एक नई दिशा मिली है साथ ही वहां रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हुये है।
इसके साथ ही आमान परिवर्तन के कार्य को इस जोन पर प्राथमिकता के साथ किया गया है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर विगत 8 वर्षों में आमान 815 किलोमीटर मीटर गेज रेलखण्ड पर आमान परिवर्तन का कार्य पूरा किया गया है। सम्पूर्ण उत्तर पश्चिम रेलवे पर वर्तमान उदयपुर-हिम्मतनगर रेलखण्ड के खारवाचांदा-जयसंमद 37 किलोमीटर रेलखण्ड का आमान परिवर्तन शेष रहा है, जिसे पूर्ण करने का लक्ष्य जून 2022 रखा गया है।
रेल यात्रियों की संख्या तथा व्यस्त मार्गाें को ध्यान में रखते हुये इस रेलवे पर दोहरीकरण का कार्य किया जा रहा हैं, जिससे अधिक रेलसेवाओं का संचालन किया जा सके ताकि यात्रियों को अधिक रेल सुविधा तथा उनके समय की बचत हो। उत्तर पश्चिम रेलवे पर 2014 से अब तक 664 किलोमीटर रेलखण्ड का दोहरीकरण पूर्ण किया गया है। जिसमें इस रेलवे की मुख्य लाइन रेवाडी-अलवर-जयपुर-अजमेर-पालनपुर रेलखण्ड के मार्ग भी सम्मलित है। इसके अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण रेलमार्ग फुलेरा-राई का बाग 128 किलोमीटर लम्बाई के डेगाना-मेड़ता रोड़, मेडता रोड़-खारिया खंगार, डेगाना-बोरावड़ व बोरावड़-कुचामन सिटी रेलखण्ड़ का दोहरीकरण भी पूरा किया गया है। वर्ष 2022-23 में कुचामन सिटी-नावां सिटी, नावां सिटी-फुलेरा, खारिया खंगार-पीपाड रोड व पीपाड रोड-राई का बाग 127 किलोमीटर का दोहरीकरण पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
आधारभूत संरचना की वृद्धि के तहत महत्वपूर्ण परियोजनाओं को लक्ष्यानुसार पूर्ण करने के लिये इस वर्ष राष्ट्रीय रेल पुरस्कार समारोह में सिविल इंजीनियरिंग-निर्माण शील्ड दक्षिण मध्य रेलवे के साथ संयुक्त रूप से प्रदान की गई। उल्लेखनीय है कि सिविल इंजीनियरिंग-निर्माण शील्ड, उत्तर पश्चिम रेलवे को विगत 3 वर्षों से लगातार प्राप्त हो रही है। श्री बृजेश कुमार गुप्ता, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी/निर्माण के नेतृत्व में उत्तर पश्चिम रेलवे पर वर्ष 2021-22 में 265 किलोमीटर नई लाइन, आमान परिवर्तन व दोहरीकरण का कार्य पूर्ण किया जो इस वर्ष में सम्पूर्ण भारतीय रेलवे पर सर्वाधिक है।
आवागमन, विकास तथा रोजगार के ध्यान में रखते हुये भारतीय रेलवे पर नई रेल लाइनो, आमान परिवर्तन तथा दोहरीकरण के कार्य पूर्ण क्षमता के साथ किये जा रहे है, विगत वर्षों में निर्माण परियोजनाओं के लिये पर्याप्त बजट का आंवटन किया गया है, जिससे इन परियोजनाओं को समयानुसार पूर्ण किया जा सके ताकि इनकी लागत में वृद्वि न हो और समय से यात्री इनका लाभ प्राप्त कर सकें। भारतीय रेल की प्रतिबद्वता है कि रेल का विकास-देश का विकास इस को आधार मानकर रेलवे का आधारभूत ढांचा मजबूत बनाकर अधिकाधिक सुविधाएं रेल उपभोक्ताओं को प्रदान की जाये।