बीकानेर,संभागीय आयुक्त नीरज के पवन ने पिछले दिनों म्यूजियम तिराहे पर ट्रैफिक पॉइंट के पास शराब ठेके की ब्रांच पकड़वाई थी। वहां से बड़ी मात्रा में अंग्रेजी और देसी शराब बरामद हुई। उसके बाद कई स्थानों पर धड़ल्ले से ब्रांच चलती दिखी।
शराब बेचकर राजस्व कमाने के लिए आबकारी विभाग ने जिले में 226 दुकानें मंजूर की हैं। इनमें से 219 अब तक खुल चुकी हैं। सात दुकानों की बोली और लगनी है। शराब की बिक्री से सरकार को इस साल 502 करोड़ का राजस्व मिलेगा। इसके लिए बैक डोर से ब्रांच खोलने की भी छूट दे दी जा रही है।
पवनपुरी में दो हॉस्पिटल से पास दो ठेके और ब्रांच एक साथ चल रहे हैं। आयुक्त ने सभी ब्रांचें सीज करने और शिक्षण संस्थान, कोचिंग सेंटर, धार्मिक स्थल व हॉस्पिटल से 200 मीटर के अंदर खोले गए ठेकों की लोकेशन बदलने के निर्देश आबकारी अधिकारी को दिए थे, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हालात ये है कि नियम-कानून को धत्ता बताकर शिक्षण संस्थाओं के पास ठेके की ब्रांच खोल दी गई है। सरकार को राजस्व मिल रहा है, इसलिए आबकारी विभाग चुप है। लेकिन युवाओं में नशे की प्रवृति बढ़ रही है। ब्रांचों के कारण लोगों को दूर नहीं जाना पड़ता। घर के नजदीक देर रात तक शराब बिकती है। खास बात ये है कि घाटे से बचने के लिए पेरेलल ब्रांच का सहारा लिया जा रहा है।
पवनपुरी में लंबे समय से शराब ठेके की ब्रांच चल रही है। वहां दो ठेके होने के बाद भी खुले आम ब्रांच से शराब बेची जाती है। आबकारी अधिकारी को लोगों ने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बल्लभ गार्डन के चौराहे पर स्कूल के पास भी ब्रांच चल रही है। इस चौराहे पर शाम के समय महिलाएं परिवार सहित घूमने आती हैं, लेकिन ब्रांच के कारण अब डरने लगी हैं।
देर रात तक वहां शराबियों का जमावड़ा रहता है। जबकि इन स्थानों पर रोजाना शाम के समय जयनारायण व्यास कॉलोनी पुलिस की गश्त रहती है। रानी बाजार, गंगाशहर, सर्वोदय बस्ती, मुक्ता प्रसाद रामपुरा बस्ती, सादुल सिंह सर्किल, स्टेशन रोड, मटका गली जैसे कई स्थान हैं, जहां दुकानों और चाय के ठेलों तक में ब्रांच चल रही है।
शहर के हर शराब के ठेके में 6 इंच की जगह है। रात 8 बजे के बाद शराब उसी में से दी जाती है। शटर डाउन होने के बाद ठेके में सेल्समैन मौजूद रहता है। बाहर बैठा दूसरा सेल्समैन होल के पास बैठ जाता है। उस होल से शराब सप्लाई की जाती है। बाजार में तो पड़ोस की चाय की दुकान में से हॉल निकाले हुए हैं। ठेकेदारों का कहना है कि दिनभर में इतनी बिक्री नहीं होती, जितनी रात को होती है। क्योंकि पव्वे से लेकर बोतल और बीयर के प्रिंट रेट से 50 रुपए ज्यादा वसूले जाते हैं। हैरत की बात ये है कि पुलिस और आबकारी विभाग इस सिस्टम से वाकिफ हैं, लेकिन कार्रवाई फिर भी नहीं होती।
आबकारी विभाग का सिस्टम ही ऐसा है कि ब्रांच पकड़े जाने के बाद ठेकेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो होती। ब्रांच पर शराब बेचने वाले सेल्समैन पर ही केस होता है। जबकि आबकारी विभाग को पता रहता है कि ब्रांच किस ठेकेदार की है। दरअसल कानून के तहत अवैध रूप से शराब बेचने वालों को ही दोषी माना जाता है।
बीकानेर जोन में अवैध शराब के खिलाफ आबकारी विभाग की निरोधात्मक कार्रवाई के चलते दो महीने में 163 मुकदमे दर्ज किए गए हैं तथा107 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। चूरू में 56 केस में 22, हनुमानगढ़ में 69 केस में 36, बीकानेर में 42 केस में 24 तथा श्रीगंगानगर में 52 केस दर्ज कर 25 लोगों को अवैध शराब बेचने पर पकड़ा जा चुका है।