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बीकानेर में इसी तरह का एक बड़ा मामला सामने आया है। करोड़ों की लागत से बना करणी नगर स्थित अंबेडकर भवन विभागीय उदासीनता का शिकार होकर अनुपयोगी बना पड़ा है। बताया जा रहा है कि दो साल पहले यह भवन बनकर तैयार हो गया था। गार्डन भी विकसित कर दिया गया। मगर अब तक इसे उपयोग के लिए नहीं दिया जा रहा। हमने यूआईटी के एक्सईएन राजीव गुप्ता ने बताया कि तीन चार दिन में पूरे हो जाने वाले छुटपुट कार्यों की वजह से पूरे दो साल से यह बंद पड़ा है। गुप्ता के अनुसार भवन निर्माण दो साल पहले ही पूर्ण हो गया था। केवल दरवाजों के लॉक जैसे छुटपुट कार्य ही बाकी थे। ये कार्य अब पूर्ण करवा लिए गए हैं। टेंडर आमंत्रित किए गए हैं, सोमवार को अंतिम तिथि है। इसके बाद इसके संचालन का ठेका दे दिया जाएगा।

वंदे मातरम टीम के विजय कोचर ने बताया कि भवन के मुख्य द्वार के आगे झाड़ियां पनप चुकी है। वसुंधरा राजे के समय यह निर्माण हुआ। अब इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। कोचर ने कहा कि संभागीय आयुक्त नीरज के पवन को सारी वस्तु स्थिति बताई गई है। आज वंदे मातरम टीम के विजय कोचर, श्यामसुंदर सारड़ा, कन्हैयालाल पंवार व मनोज माहेश्वरी आदि संभागीय आयुक्त से मिले थे।

बता दें कि रखरखाव के अभाव में बंद पड़ी बिल्डिंगें खराब हो जाता करती है। सरकारी संपत्ति की यह दुर्दशा एक तरह से आम जन के खून पसीने की कमाई की दुर्दशा है। जनता के टैक्स के पैसे से ही इस तरह के सरकारी निर्माण संभव होते हैं।

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