बीकानेर,खेलमंत्री अशोक चांदना के इस्तीफे पर सियासत जारी है। भाजपा ने सरकार पर चौतरफ हमला बोला है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि अशोक गहलोत अल्पमत की सरकार चला रहे हैं। न तो पार्टी के भीतर बहुमत में थे और न पार्टी के बाहर बहुमत में है। गहलोत जुगाड़ की सरकार चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के भीतर बड़ा विग्रह और अंतर्विरोध है। तीसरा पक्ष यह है कि ब्यूरोक्रेसी इस कदर हावी है कि एक मंत्री को यह कहना पड़ता है कि मंत्री पद की जलालत से मुक्ति दिलाएं। अशोक गहलोत और कांग्रेस पार्टी का राजस्थान में शासन होना सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। यह साबित हो गया है कि कांग्रेस का अंतरकलह का सीधा—सीधा असर गवर्नेंस पर पड़ा है। जिसके कारण राजस्थान की दुर्दशा हुई है। यह सरकार गिरेगी तो अपने बोझ से गिरेगी या 2023 में जनता इलाज भी कर देगी। इलाज भी ऐसा कि दोबारा इस तरीके का भाषण देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सत्तारुढ़ दल के एक दर्जन विधायक सरकार के खिलाफ
उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि पहली बार सत्तारुढ़ दल के एक दर्जन विधायक राज्य सरकार के खिलाफ हैं। जिन्होंने सरकार की नीतियों व मंत्रियों के विरुद्ध विधानसभा में अपनी बात रखी है। भरत सिंह ने दर्जनों पत्र लिखकर कहा कि भ्रष्टाचार पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पीसीसी की नौजवान शाखा के अध्यक्ष रहे मंत्री का पद जलालत भरा है। सारे के सारे पद का दायित्व अगर सचिव कुलदीप रांका को सौंप दिया जाए तो इससे बड़ी व्यथा और पीड़ा हो नहीं सकती।
संविधान का आर्टिकल 164(2) साफ कहता है कि मंत्रिमंडल सामूहिक तौर पर विधानसभा और विधानसभा राज्य की जनता के प्रति उत्तरदायी होता है। एक मंत्री कोई बात कहता है तो वो पूरे मंत्रिमंडल की बात मानी जाती है। मंत्रिपरिषद की व्यथा को अशोक चांदना ने उजागर किया है, इससे बड़ा दुर्भाग्य हो नहीं सकता। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री का पूरा समय मंत्रियों को मनाने, सत्तारुढ़ दल के कुनबे को बांधने और विधायकों को लॉलीपॉप देने में चला जाता है। सत्तारुढ़ दल के विधायक व चुनाव लड़े हुए नेता खुद को मिनी मुख्यमंत्री मानते है।