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बीकानेर,देवी सिंह भाटी का आमरण अनशन दूसरे दिन जनता की मांगों पर प्रशासन के साथ समझौते के साथ समाप्त हो गया। भाटी अपने उद्देश्य में सफल रहे। भाटी ने आमरण अनशन करके कांग्रेस भाजपा के लिए जनता के मन में इन मुद्दों को लेकर गैर जिम्मेदारी की भावना जगा दी। मंत्रियों और अन्य नेताओं को बेकार कारगर कर दिया। हालांकि प्रशासन ने सक्रियता से ऐसा खेल खेला की सरकार और प्रशासन की साख पर कोई आंच नहीं आई। पूरे घटनाक्रम का ऐसा इंपेक्ट रहा कि सांप भी नहीं मरा। लाठी भी नहीं टूटी। भाटी भी खुश, प्रशासन भी संतुष्ट। जनता की दिक्कतों पर पर्दा डाल दिया। सरकार की साख बची रह गई बस। भाटी के पानी, बिजली, पशु चारे की किल्लत और बढ़ते अपराध आदि मुद्दों पर आमरण अनशन घोषणा के साथ ही संभागीय आयुक्त डा. नीरज के पवन पंजाब गए और नहर से पानी छोड़ने के मामले में सब कुछ ठीक ठाक करने के प्रयास किए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पंजाब के मुख्यमंत्री से बात की। जैसा हो सकता वैसा हुआ। नहर का पानी आएगा तब ही आएगा। इस मुद्दे पर भाटी ने सब को लपेटा। सत्तारूढ़ कांग्रेस के बीकानेर से मंत्रियों और बीकानेर से केंद्रीय मंत्री को जन हित के इन मुद्दों पर आड़े हाथों लिया। जनता के सामने ऐसी तस्वीर पेश की जिससे उनकी छवि ऐसी बनी कि मंत्री वास्तव में आंखे मूंदे बैठ हैं। देवी सिंह भाटी ही ऐसे नेता है जो जनता के हितों की चिंता कर रहे हैं। इधर प्रशासन ने इतनी सक्रियता दिखाई कि जनता को शहरी क्षेत्र में लगने लगा कि पानी की दिक्कत नहीं आएगी और नहर से भी पानी शीघ्र ही मिल जाएगा। शहर में पानी के इंतजाम का पूरा ढांचा जनता को पेश किया गया। क्विक रेस्पॉन्स का माहौल बनाया गया। जनता को विश्वास दिलाया गया। जनता को प्रशासन पर भरोसा हो गया। बात सब तरफ से रह गई। हालत वैसे ही है। तेजी से घूमता घटनाक्रम का पहिया वहीं आकर रुका जहां था। द्रुतगामी पहिए के भ्रम जाल में कुछ भी नहीं दिखाई दिया। वास्तव में जो जहां था वहीं रहा। वाह भाटी वाह।

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