बीकानेर में पिछले 30 सालों से। बीकानेर में अब तक बेर की 300 से ज्यादा वैरायटी तैयार की जा चुकी है।
दरअसल, बीकानेर में देश का सबसे बड़ा बेर अनुसंधान केंद्र है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (CIAH) संचालित कर रहा है। बेर एक मात्र ऐसा फ्रूट है जो तेज गर्मी और लू में भी पनपकर लाखों रुपए की कमाई दे जाता है। यहां भारतीय बेर के अलावा कतर, चीन और खाड़ी देशों की जितनी भी वैरायटी है, उसे भी किसानों के लिए डेवलप किया जा रहा है।
राजस्थान के अलावा हरियाणा और गुजरात की सप्लाई केंद्र के निदेशक डॉ. बीडी. शर्मा ने बताया कि 30 साल से बेर की अलग-अलग वैरायटी पर रिसर्च किया जा रहा है। अब तक करीब 300 तरह के बेर खोज चुके हैं। बेर की खेती राजस्थान के अलावा दूसरे राज्यों में भी की जा रही है। यहां से हर साल 1 हजार से ज्यादा पौधे हरियाणा, गुजरात व तमिलनाडु सप्लाई किए जा रहे हैं।
सबसे ज्यादा थाई बेर और उमरान की डिमांड
बेर की कुछ वैरायटी दिखने में सेब की तरह होती हैं। बीकानेर में तैयार की जा रही किस्मों में थाई और उमरान की डिमांड सबसे ज्यादा है। उमरान वैरायटी के बेर दिखने में थाई से भी बड़े होते हैं।