जयपुर,कांग्रेस पार्टी द्वारा उदयपुर में चिंतन करने के बाद भी पार्टी कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि पार्टी की रीति-नीति और फैसलों को लेकर नाराज नजर आ रहे हैं। पहले गुजरात में कांग्रेस के युवा नेता हार्दिक पटेल के पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उसके बाद राजस्थान सरकार में भी एक कांग्रेस विधायक ने विधानसभा सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है। युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष और डूंगरपुर से कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा ने विधानसभा क्षेत्र डूंगरपुर से अपनी विधानसभा सदस्यता से त्याग पत्र दे दिया है। घोघरा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भेजे पत्र में खुद को दरकिनार करने के साथ ही उनकी आवाज दबाने के आरोप लगाए हैं। बता दें कि उनकी ही सरकार होते हुए भी बीते मंगलवार को डूंगरपुर जिले में एसडीएम समेत 22 सरकारी कर्मचारियों को बंधक बनाने के मामले में कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा समेत 60 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। जिसके बाद विधायक घोघरा नाराज चल रहे थे। मामला डूंगरपुर पंचायत समिति की ग्राम पंचायत सुरपुर से जुड़ा हुआ है। जहां प्रशासन गांव के संग अभियान के फॉलोअप शिविर में आए उपखंड अधिकारी सहित 22 कार्मिकों को नाराज ग्रामीणों ने मंगलवार को ग्राम पंचायत भवन में बंद कर दिया था। वहीं इसके बाद डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा ने ग्रामीणों के साथ पंचायत भवन के बाहर धरना भी दिया था। उनका कहना है कि कांग्रेस की सरकार में उनकी बातों को नही सुना जा रहा है। अधिकारी भी उनकी बातों को अनसुना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनता की समस्याओं को उठाने के लिए दवाब बनाया जा रहा है। जिस जनता ने उनपर अपना भरोसा दिखाया है। तो उनकी समस्याओं को उठाना जिम्मेदारी है।
इस्तीफा या नौटंकी? –
उधर यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश घोघरा के राजस्थान विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देने को भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हिमांशु शर्मा ने नौटंकी करार दिया। भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष हिमांशु शर्मा ने ट्वीट कर कहा की राजस्थान विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम के 21वें अध्याय के अनुसार त्यागपत्र विधानसभा अध्यक्ष को देना होता है। जबकि गणेश घोघरा ने त्यागपत्र मुख्यमंत्री के नाम भेजा है। अब गलत व्यक्ति को भेजे गए इस्तीफे को वापस लिया जाएगा या फिर अध्यक्ष को संबोधित ना होने के कारण यह इस्तीफा अस्वीकार्य होगा? लेकिन दोनों ही स्थिति में गणेश घोघरा विधायक ही रहेंगे। शर्मा ने आरोप लगाया है कि इस्तीफे की भाषा कॉंग्रेस के संस्कारों को भी दर्शाती है । संवैधानिक पद पर आसीन विधानसभा अध्यक्ष को प्रति भेजने के क्रम में भी सोनिया गांधी और अजय माखन के बाद में तीसरे नंबर पर रखा है। जो संवैधानिक पद की गरिमा को भी भंग करता है। शर्मा ने कहा कि गणेश घोघरा का इस्तीफा राजनीतिक स्टंट के अलावा कुछ नहीं है। कांग्रेस पार्टी में इस तरह के ढोंग पुराने चले आ रहे हैं । घोघरा कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हेमाराम चौधरी के मार्ग पर है। लेकिन बावजूद इसके त्याग पत्र की भाषा राजस्थान की काँग्रेस सरकार की पोल खोलती है। अब देखना ये है कि क्या गणेश घोघरा अपने त्यागपत्र पर कायम रहकर विधानसभा अध्यक्ष को व्यक्तिगत रूप से इस्तीफा देकर इसे स्वीकार करवाएंगे।