जयपुर, राजस्थान राज्य विप्र कल्याण बोर्ड की पहली बैठक बुधवार को बोर्ड अध्यक्ष श्री महेश शर्मा की अध्यक्षता में जयपुर में आयोजित हुई।
बैठक में बोर्ड की उपाध्यक्ष श्रीमती मंजू शर्मा, सदस्य श्री सुरेश चंद शर्मा, श्री राजकुमार किराडू, श्री राजेश रामदेव, श्री सीताराम शर्मा, श्री पवन शर्मा सहित शिक्षा ग्रामीण विकास, देवस्थान, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा राजस्थान राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास सहकारी लिमिटेड के अधिकारी मौजूद रहे।
बैठक में विप्र समाज के उत्थान के लिए विप्र कल्याण कोष का गठन पर चर्चा की गई। यह बोर्ड विप्र समाज के लोगों के सामाजिक एवं शैक्षणिक उत्थान के लिए कार्य करेगा। विप्र कल्याण कोष की स्थापना एवं इसके परिसंचालन की लिए राशि आवंटन के लिए प्रस्ताव सरकार भिजवाया जाएगा।
इसी प्रकार विप्र कल्याण बोर्ड के कार्यालय की लिए भूमि आवंटन तथा भवन निर्माण के लिए बजट के प्रावधान के लिए पत्र व्यवहार किया जाएगा।
बोर्ड अध्यक्ष ने बताया कि विप्र समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए जागरुकता के उद्देश्य से विप्र समाज के प्रबुद्ध नागरिकों के साथ गोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए बोर्ड के पदाधिकारी अगले 2 माह में सभी जिलों में जाएंगे और आमजन से संवाद करेंगे।
शर्मा ने बताया कि बोर्ड द्वारा विभिन्न धार्मिक स्थलों पर कार्यरत संगठनों एवं पुजारियों का डाटा बैंक तैयार किया जाएगा। इन लोगों को विशेष प्रकार की सहायता उपलब्ध करवाने संबंधी कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इसी प्रकार आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और पंजाब में विप्र कल्याण बोर्ड द्वारा किए गए कार्यों का अध्ययन किया जाएगा। वहीं विप्र कल्याण बोर्ड की वेबसाइट और लोगो तैयार किए जाएंगे। बोर्ड के उद्देश्यों और कार्यों के प्रभावी संपादन के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाएगा।
*परशुराम पीठ की करेंगे स्थापना*
शर्मा ने बताया कि विप्र समाज के युवाओं को आध्यात्मिक चिंतन, वेद विज्ञान, वास्तु एवं कर्मकांड के विषय पर अध्ययन, अनुसंधान और शैक्षणिक कार्यक्रम संचालित करने के लिए राज्य स्तर पर परशुराम पीठ की स्थापना संबंधी प्रस्ताव सरकार को भिजवा जाएंगे। इसे जगद्गुरु रामानंदाचार्य संस्कृत शिक्षा महाविद्यालय से सम्बद्ध करवाने का प्रयास किया जाएगा। इनके अलावा प्रत्येक जिले में विप्र छात्रावास बनाने और वेद विद्यालय एवं पुस्तकालय प्रारंभ करने, उल्लेखनीय कार्य करने वाली समाज की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने, कौशल विकास के लिए विशेष कोर्स तैयार करने, विप्र कल्याण से जुड़ी सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र लोगों तक पहुंचाने तथा ईडब्ल्यूएस में पत्नी के पिता की आय नहीं जोड़ने का प्रावधान करवाने के प्रयास संबंधी चर्चा हुई।