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बीकानेर,कहते है कुछ कर गुजरने का इरादा हो तो तकदीर को बदला जा सकता है। चकाचौंध के इस दौर में जब सरकारी स्कूल की बात आती है तो ख्याल आता है टूटी-फूटी और सुविधाओं के अभाव से जूझती इमारत का। लेकिन मन कुछ अच्छा काम करने का जज्बा हो तो राह के कांटे भी हट जाते है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नं 16 उस्ताबारी के शिक्षकों ने। जिन्होंने अपनी स्कूल की सूरत बदलने का बीड़ा उठाया। अपने वेतन का कुछ हिस्से से स्कूल के हालात को बदलने की शुरूआत की। जिसके तहत पहले चरण में कक्षा कक्षों में रंग रोगन के साथ सभी कक्षाओं के प्रवेश पर संबंधित नामकरण किया गया। यही नहीं निजी स्कूलों की तर्ज पर दीवारों पर अंग्रेजी,हिन्दी व गणित के अक्षर ज्ञान से नौनिहालों को पढ़ाने के लिये चित्र उकेरे। वहीं कमरों के प्रवेश द्वार पर तिरंगे स्वरूप का रंग रोगन करवाकर टूटे दरवाजों की मरम्मत करवा जा रही है। प्रधानचार्य सहित आठ शिक्षकों ने धनराशि जुटाकर स्कूल को संवारने के काम में जुटे है। प्रधानाचार्य श्रीमती विजय द्विवेदी का कहना है कि स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने अनूठी पहल कर नवाचार किया है। अभी तक टीन शैड लगाएं जाएंगे। साथ ही कुछ उपकरण भी खरीदे जाएंगे। बच्चों के बैठने के लिये दरी पट्टिकाएं लाई जाएगी। साथ ही स्कूल को हरा भरा बनाने के लिये भी प्रयास किये जाएंगे। स्कूल को नये स्वरूप देने में अध्यापक मुकुन्द बिहारी बिस्सा,सुभाष चन्द्र,पीटीआई देवेन्द्र पुरोहित,अध्यापिका किरण व्यास,माधवी शर्मा,सीता तिवाड़ी की भूमिका अहम रही।

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