Trending Now




राजस्थान की 4 राज्यसभा सीटों पर होने जा रहे चुनाव में बीजेपी और कांग्रस के बीच टक्कर दिखाई दे रही है. अभी इन चारों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है,लेकिन 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद विधायकों की संख्या में बदलाव हुए.विधानसभा चुनाव के बाद से बीजेपी राजस्थान में सत्ता से बेदखल है और राज्यसभा चुनाव में भी बैकफुट पर है. आईए समझते हैं कि इन चारों सीटों का समीकरण क्या है.

विधायकों की ताकत के लिहाज से 3 सीटों पर तस्वीर पूरी तरीके से साफ है. इन चार में से दो सीटों पर कांग्रेस साफ तौर पर काबिज होने वाली है. इसके साथ ही एक अन्य सीट बीजेपी की मानी जा रही है.
एक सीट के लिए प्रथम वरीयता के 41 वोट की जरूरत

एक सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता के 41 वोट चाहिए. इस लिहाज से सत्ता धारी पार्टी कांगेस की दो सीटें साफ नजर आ रही हैं. वहीं प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी के खाते में भी एक सीट सीधे तौर पर जाती नजर आ रही है. चौथी सीट लिए दोनों ही दलों ने निर्दलीय और छोटे दलों से जुगत बैठना शुरू कर दिया है.

प्रदेश की दस सीटों में से चार सीटों पर चुनाव होने जा रहा है. अभी तक इन चारों सीटों पर बीजेपी के ओम प्रकाश माथुर, केजे अल्फोंस, रामकुमार वर्मा, हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर निर्वाचित हुए थे. इन सीटों पर अब मतदान होना है. प्रदेश में 2018 के सत्ता परिवर्तन होने के बाद कांग्रेस काबिज हुई और इसका प्रभाव भी साफ देखने को मिला है.

एक समय सभी दस की दस सीटें बीजेपी के पास थीं. उनमें से तीन सीटें राज्यसभा के 2020 में हुए चुनाव में कांग्रेस के खाते में आ गई हैं. इन चुनावों के बाद भी कांग्रेस की राज्यसभा सीटों की संख्या में इजाफा होगा.

वोटों का गणित

असल में राज्यसभा चुनाव पद्धति के मुताबिक इस बार चार सीटें खाली हैं. इस लिहाज से हर एक प्रत्याशी को जीत के लिए प्रथम वरीयता के 41 वोट चाहिए. अभी भारतीय जनता पार्टी- 71, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मा)- 2, निर्दलीय- 13, इन्डियन नेशनल कांग्रेस- 108, राष्ट्रीय लोक दल-1, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी- 3, भारतीय ट्राइबल पार्टी-2 सीटों के साथ है.

वर्तमान में कांग्रेस के पास 108 सीटे होने के कारण दो सीटें जीतने के लिए प्रयाप्त 82 वोट हैं लेकिन तीसरी सीट जीतने के लिए कांग्रेस के पास 15 वोटों की कमी रहने वाली है. 13 निर्दलीय है तो राष्ट्रीय लोकदल के एक अभी सरकार के साथ है. वहीं बीजेपी के पास 71 विधायक हैं.
इस लिहाज से एक सीट पर जीत दर्ज हो सकेगी. बहरहाल चुनावों की घोषणा होने के बाद से अब राजनीतिक पार्टियों में चुनावी सरगर्मियां बढ़ने लगेगी.

Author