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बीकानेर । राजस्थान की अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों और कुप्रबंधन के कारण प्रदेश में गहराए भयंकर बिजली संकट और प्रतिदिन बिजली कटौती के निर्णय का गत दिनों विरोध करने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं पर झूठा और तथ्यहीन मुकदमा दर्ज करवाने के पश्चात आज गुरुवार को इस मामले में दो पार्टी कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का शहर भाजपा पदाधिकारियों ने कड़ा विरोध करते हुए इसे राज्य सरकार की तानाशाही, विपक्ष को डरा धमकाकर चुप करवाने और आमजन की आवाज को कुचलने का प्रयास बताया है।

भाजपा जिलाध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि यह पूरा मुकदमा झूठ पर आधारित और तथ्यों से परे है। किसान मोर्चा शहर जिलाध्यक्ष एड. श्यामसुंदर चौधरी और किसान मोर्चा जिला महामंत्री दीपक यादव को सुबह तडके पेशेवर अपराधियों की तरह गिरफ्तार करना अति निंदनीय और अलोकतांत्रिक है जबकि इस प्रकरण में ये दोनों कार्यकर्त्ता नामजद भी नहीं हैं। आज जिस प्रकार पार्टी के कार्यकर्ताओं की सुबह 5 बजे घरों में घुस कर गिरफ्तारी की गई वो पार्टी कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों में सरकार द्वारा दहशत फैलाने वाले तरीके को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पार्टी और पार्टी के कार्यकर्ता जनहित के मुद्दों को उठाने में पीछे नहीं हटेंगे । वर्तमान सरकार ने आमजन को बिजली पानी जैसे आधारभूत सुविधाओं के लिए भी तिल तिल कर तरसने को मजबूर कर रखा है।

प्रदेश कार्यसमिति सदस्य डॉ. सत्यप्रकाश आचार्य ने कहा कि राजस्थान की अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अपनी विफलताओं को छुपाने तथा आमजन और विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए भय का माहौल पैदा करना चाहती है लेकिन सत्ता के नशे में सरकारी तंत्र के सहारे दबाव बनाकर विपक्ष को डराने धमकाने के उनके मंसूबे सफल नहीं होंगे।

पूर्व जिलाध्यक्ष विजय आचार्य ने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा है, सरकार और उनके नुमाइंदों के अलोकतांत्रिक तरीके से झूठे मुकदमो से कार्यकर्ता विचलित होने वाला नहीं है।

पूर्व न्यास अध्यक्ष महावीर रांका ने कहा कि नामजद सूची के नाम पर प्रतिष्ठित कार्यकर्ताओ की गिरफ्तारी निंदनीय है।

जिला उपाध्यक्ष भगवान सिंह मेड़तिया ने सम्पूर्ण गिरफ्तारी की प्रक्रिया के औचित्य पर प्रश्न चिह्य खड़ा किया है।

प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एड. मुमताज अली भाटी, जिला उपाध्यक्ष अशोक प्रजापत,जिला कोषाध्यक्ष शिवरतन अग्रवाल, जिला महामंत्री अनिल शुक्ला, नरेश नायक, जिला मंत्री अरुण जैन, जिला मंत्री और मीडिया प्रभारी मनीष आचार्य, जिला मंत्री कौशल शर्मा, महिल मोर्चा जिलाध्यक्ष सुमन छाजेड़ इत्यादि पदाधिकारियों ने भी इस कार्यवाही का विरोध करते हुए कहा कि लोकतंत्र में ज्ञापन देना और प्रजातांत्रिक तरीके से सरकार का विरोध करना कोई अपराध नहीं है और राज्य सरकार सत्ता का दुरुपयोग कर भारी दबाव बनाकर भी स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति को दबा नहीं सकती।

वरिष्ठ अधिवक्ता व राजस्थान बार एसोसिएशन के पूर्व चेयरमैन कुलदीप शर्मा, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एड. विवेक शर्मा,अधिवक्ता चतुर्भुज सारस्वत, अधिवक्ता दिलीप सिंह आडसर, विजय उपाध्याय, घनश्याम लोहिया, पूनमचंद पूनिया, तेजेंदर गिल, शिव गहलोत, नखत सिंह राठौड़, बाबूलाल सैनी, राजेन्द्र शर्मा, पार्षद जितेंद्र भाटी,पार्षद हिमांशु शर्मा,पार्षद विकास सियाग, हनुमान चावड़ा,मण्डल अध्य्क्ष नरसिंग सेवग, अजय खत्री, जेठमल नाहटा, चंद्रशेखर शर्मा, राहुल डीडवानिया आदि कार्यकर्ताओं ने भी सरकार के इस कदम पर अपनी तीव्र प्रतिक्रिया देते हुए विरोध जताया ।

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