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बीकानेर, किसानों को मृदा स्वास्थ्य, जैविक एवं संरक्षित खेती, फसल विविधिकरण, पशुपालन, कीट एवं व्याधि प्रबंधन और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रति जागरुक करने तथा कृषि लागत मूल्य घटाने के साथ उत्पादन एवं आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य के साथ जिले में ‘माटी’ परियोजना चलाई जाएगी।
इसके पहले चरण में 16 मई से 26 जून तक जिले के सभी गांवों में किसान गोष्ठियों का आयोजन होगा। इन गोष्ठियों में किसानों से सीधा संवाद किया जाएगा। इसी प्रकार पहले चरण में जिले के पच्चीस गांवों का चयन करते हुए इनमें किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाएगा।
जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने बुधवार को पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित कार्यशाला के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि माटी का एक-एक कण सोने के समान है। मृदा स्वस्थ होगी तो किसानों को इसका लाभ मिलेगा। ऐसे में इस ओर ध्यान देना बेहद जरूरी है। उन्होंने पशुपालन को कृषि का पूरक बताया तथा कहा कि गोष्ठियों के दौरान किसानों को कम पानी लेने वाली, अधिक मुनाफे वाली फसलों के बारे में जागरुक किया जाए।
जिला कलक्टर ने रासायनिक उर्वरकों के बढ़ते उपयोग पर चिंता जताई और कहा कि इससे मृदा और मानव स्वास्थ्य पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके मद्देनजर किसानों को जैविक खेती के लाभ के बारे में बताया जाए। उन्होंने कहा कि ‘माटी’ परियजना के तहत जिले के पंाचों ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों से पांच-पांच गांवों का चयन किया जाएगा। इन गांवों में प्रत्येक चयनित किसान की कृषि आधारित गतिविधियों की विशेष मॉनिटरिंग की जाएगी।
उन्होंने बताया कि इन 25 गांवों में किसान की कृषि योग्य भूमि, मृदा की स्थिति, उपलब्ध संसाधन, वर्तमान में की जाने वाली खेती एवं आमदनी, आय एवं उत्पादन बढ़ाने की योजना तथा परिणाम संबंधी रेकार्ड संकलित किया जाएगा। सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ विभिन्न ऋण योजनाओं से इन क्षेत्रों के किसानों को जोड़ने के प्रयास होंगे। उन्होंने कहा कि परियोजना को प्रभावी तरीके से लागू करने में कृषि के अलावा पशुपालन, उद्यानिकी, सिंचित क्षेत्र विकास, नाबार्ड की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
*विभिन्न विषयों पर हुए व्याख्यान*
कार्यशाला के दौरान संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) डॉ. उदयभान ने बीकानेर जिले के कृषि परिदृश्य, राजूवास के प्रो. आर. के. धूड़िया ने पशुपालन,एसकेआरएयू के डॉ. एस. आर. यादव ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड, मृदा परीक्षण एवं मृदा की स्थिति तथा अमर सिंह गोदारा ने जैविक खेती, काजरी के निदेशक डॉ. एन. डी. यादव ने फसल विविधिकरण तथा सीआइएएच के डॉ. धुरेन्द्र सिंह ने संरक्षित खेती एवं उद्यानिकी के अलावा नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक रमेश तांबिया एवं डॉ. निर्मला सैनी ने विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिए।
उपनिदेशक कृषि (विस्तार) कैलाश चौधरी ने परियोजना के विभिन्न बिंदुओं, किसान गोष्ठियों के दौरान दी जाने वाली जानकारी के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में कृषि अधिकारी, सहायक कृषि अधिकारी, कृषि पर्यवेक्षकों सहित जिले भर में विभागीय फील्ड कार्मिकों ने भागीदारी निभाई। कार्यक्रम का संचालन कृषि अधिकारी मुकेश गहलोत ने किया।
इस दौरान जिला कलक्टर ने परियोजना के विभिन्न बिंदुओं पर आधारित फोल्डर का विमोचन किया। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक पशुपालन विरेन्द्र नेत्रा, उप निदेशक उद्यानिकी राजेश नैनावत, सहायक निदेशक कृषि रामकिशोर मेहरा आदि मौजूद रहे।

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