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बीकानेर,हमारे संगठन के कार्यालय का उद्घाटन समारोह 11 मई को रखा गया है। अभी आमंत्रण पत्र देख कर पता चला की जिस शहर में कार्यालय का निर्माण हुआ उसी शहर की महापौर और हमारी नेता सुशीला कंवर जी का नाम आमंत्रण पत्र में नहीं है।

यही कारण रहा की किशोर का गुस्सा उस दिन लक्ष्मीनाथ जी मंदिर में फूटा। हो सकता है किशोर ने भावावेश में शब्दों का चयन गलत किया हो परंतु उस नाराजगी के पीछे का कारण लगातार जिला पदाधिकारियों द्वारा पार्षदों की अनदेखी करना ही था। किसी भी कार्यक्रम में, किसी भी बैठक में, किसी भी संगठन पदाधिकारी अथवा जनप्रतिनिधि के आने पर पार्षद को बुलाया नही जाता लेकिन धरना प्रदर्शन में भीड़ करनी हो तो पार्षद याद आ जाते हैं। हाल ही में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव बीकानेर एयरपोर्ट आए सभी संगठन पदाधिकारी वहां थे लेकिन हम जो जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं हमें सूचना भी नही थी। हम निर्वाचित हैं चयनित नही। जनता ने अपना अमूल्य मत देकर हमें जनप्रतिनिधि बनाया है, किसी की सिफारिश या किसी की सेवा करके हम चुनाव नही जीते।
संगठन के कार्यालय के उद्घाटन में तीनों विधायक का नाम है लेकिन महापौर का नही। विधायक की सीटें तो फिर भी राजस्थान में 200 हैं महापौर सिर्फ 10 उसमे से भी जिले में सिर्फ 1

संगठन द्वारा लगातार पहले दिन से पार्षदों की अनदेखी की जा रही है। हम भी संगठन का हिस्सा हैं। संगठन को मजबूत करने में हमारा भी योगदान है। जरूरत है हमें संगठित होने की और जिला पदाधिकारियों को हमारा महत्व समझाने की ।
हमें कार्यालय के इस आमंत्रण में हमारी महापौर का नाम ना होने का विरोध करना चाहिए और संगठन के उच्च पदाधिकारियों को इस विषय में अवगत करवाना चाहिए ।

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