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बीकानेर,  आजादी का अमृत महोत्सव के तहत राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान द्वारा शुक्रवार को ‘सुनी लिखी पढ़ी श्रंखला’ व्याख्यान आयोजित किया गया।
कार्यालय परिसर में आयोजित व्याख्यान के मुख्य वक्ता इतिहासविद् एवं अभिलेखागार के पूर्व उपनिदेशक डाॅ. गिरिजा शंकर शर्मा थे। उन्होंने ‘ राजस्थान इतिहास लेखन एवं प्राच्य पांडुलिपियां’ विषय पर बात रखी। उन्होंने कहा कि राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान में उदयपुर, बीकानेर और किशनगढ़ शैली के दुर्लभ चित्रित ग्रंथों का भंडार उपलब्ध है। इनमें साहित्य, इतिहास, संस्कृति, खगोल, दर्शन एवं पशु चिकित्सा संबंधी उपयोगी ग्रंथ मौजूद हैं। साथ ही संस्कृत, प्राकृत एवं राजस्थानी भाषा के ग्रंथों के माध्यम से संस्कृति एवं इतिहास को समझा जा सकता है।
अध्यक्षता करते हुए डाॅ. धर्मचंद जैन ने कहा कि बीकानेर में पठन पाठन की परंपरा रही है। प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान यहां होना अपने महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मध्ययुगीन इतिहास, जैन ग्रंथों के बिना अधूरा है। प्रतिष्ठान द्वारा यहां ऐसे सभी ग्रंथ उपलब्ध करवाए गए हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से अनुपलब्ध सामग्री भी उपलब्ध करवा दी गई है। उन्होंने कहा कि ऐसे व्याख्यान देश विदेश के शोधार्थियों के लिए लाभदायक सिद्ध होंगे।
राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान बीकानेर के वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी डाॅ. नितिन गोयल ने कहा कि प्रतिष्ठान, जिले का प्रथम डिजिटलाइजेशन संस्थान है। यहां से देश विदेश के शोधार्थियों को लाभ मिल रहा है। उन्होंने बताया कि यह व्याख्यान ऑफलाईन व ऑनलाईन दोनों माध्यमों द्वारा आयोजित हुआ।ऑनलाईन मोड में व्याख्यान का सीधा प्रसारण प्रतिष्ठान के यू-ट्यूब चैनल, फ़ेसबुक एवं इंस्टाग्राम पेज पर किया गया तथा ज़ूम ऐप के माध्यम से रूस, जर्मनी सहित देश-विदेश के शोधार्थी एवं इतिहासविद इसमें शामिल हुए। उन्होंने बताया कि जिसमें जर्मनी से मोनिका हॉट्स मैन, मॉस्को से लुडमिला खोखलोवा रजिस्ट्रेशन लिंक के माध्यम से जुड़ने वाले सभी प्रतिभागियों को ई-सर्टिफिकेट भी प्रदान किया गया। अभिलेखागार के पूर्व निदेशक डॉ जे के जैन दिल्ली से ऑनलाइन शामिल हुए।
ऑनलाइन माध्यम से शामिल होने वाले राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातनाम विद्वान व शोधार्थियों को प्रतिष्ठान एवं बीकानेर में संधारित पाण्डुलिपिया एवं इतिहास में इनकी उपयोगिता की जानकारी मिली। डाॅ. गोयल ने कहा कि प्रतिष्ठान द्वारा भविष्य में भी सुनी लिखी पढी श्रंखला के तहत व्याख्यान, पुस्तक विमर्श, लेखक से मिलिये, भाषा कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इससे इतिहासकर्मियों, भाषाविदों, शोधार्थियों, संस्कृतिकर्मियों के ज्ञान में अभिवृद्धि होगी एवं अनुभवी-स्थापित विद्वानों के कार्यों से युवाओं में रूचि व चेतना जागृत होगी। कार्यक्रम में देश के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा अमेरिका, रूस से जिज्ञासु प्रतिभागियों शामिल होकर कार्यक्रम को सफल बनाया।
कार्यक्रम में डॉ. भंवर भादाणी, कमल रंगा, क़ासिम बीकानेरी, डॉ.मोहम्मद फ़ारुक़ चौहान, राजाराम स्वर्णकार, मोइनुद्दीन नाचीज़ कोहरी, डॉ. अजय जोशी, गिरिराज पारीक, सुमित शर्मा,सोनू सैनी, चंद्रशेखर कच्छावा, राजशेखर पुरोहित,सुरेंद्र सिंह राजपुरोहित, सुखराम, रामेश्वर बेरवा, गजेंद्र खत्री, डॉ.राजेंद्र कुमार,बबीता जैन,सीमा जैन, एडवोकेट महेंद्र जैन, नेमीचंद, मोहम्मद फारूक, बजरंग कच्छावा एवं शराफ़त हुसैन सहित एनसीसी, स्काउट्स, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के विद्यार्थी, इतिहासविद्, शोधार्थी, साहित्यकार एवं छात्र छात्राएं शामिल हुए। प्रतिष्ठान बीकानेर के मुख्य वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी डॉ. नितिन गोयल ने ज्ञापित किया।कार्यक्रम का संचालन आलिया ख़ान ने किया।

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