बीकानेर,राजस्थान के सरकारी स्कूल्स में कार्यरत पैराटीचर्स को स्थायी करने के लिए राज्य सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। करीब तीन हजार 886 पैराटीचर्स को स्थायी करने के लिए शिक्षा निदेशालय को राज्य सरकार को प्रस्ताव भेज दिए हैं। इन पैराटीचर्स का नया पद नाम पाठशाला सहायक होगा। ये नियुक्ति अगले पांच साल तक के लिए होगी।
दरअसल, राज्य सरकार ने पैराटीचर्स को स्थायी करने के लिए ‘पाठशाला सहायक’ का नया पद सृजित करने के साथ ही उसके कामकाज का भी प्रस्ताव दिया है। पाठशाला सहायक टीचर्स का सहयोग कर सकते हैं, लेकिन उन्हें क्लास लेने संबंधित कोई काम नहीं दिया जाएगा। यहां तक कि उन्हें शुद्ध पानी की व्यवस्था करने, मिड डे मिल की व्यवस्था देखने, स्कूल नहीं आ रहे बच्चों को जोड़ने सहित कुछ अन्य काम दिए गए हैं।
राज्यभर में करीब चार हजार पैराटीचर्स है। विभागीय स्तर पर इन्हें ‘एडॉप्ट’ किया जाएगा। इनमें पैराटीचर के अलावा महिला पैराटीचर, अतिरिक्त पैराटीचर, पैरा शारीरिक शिक्षक शामिल हैं। इनकी संख्या 3 हजार 886 है। निदेशालय की ओर से भेजे गए प्रस्तावों में पैराटीचर्स के जातीय वर्ग और आरक्षण का ब्यौरा भी दिया गया है। इनमें 1484 पैराटीचर्स के रिकार्ड भी विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट पर है। इनके पास टीचर बनने की पूरी योग्यता है।
विभाग ने 3 हजार 886 में से 489 पैराटीचर्स को योग्यता के आधार पर अपात्र माना गया है। ऐसे में इन्हें स्थायी नियुक्ति से बाहर भी रहना पड़ सकता है। दरअसल, विभाग ने इन्हें सिविल सेवा पदों पर रखने का प्रस्ताव दिया है। सिविल सेवा पदों पर रखने के लिए नियम बने हुए हैं, उन्हीं के आधार पर ये अपात्र हो गए।
वैसे सिविल सेवा नियमों और वर्तमान आरक्षण व्यवस्था के चलते विभाग को 3886 में से 1567 पैराटीचर्स ही पूरी तरह योग्य मिले हैं। अगर आरक्षण नियमों को सख्ती से लागू किया जाए और उम्र में महिलाओं को दस साल व पुरुषों को पांच साल की छूट दी जाती है तो 1567 पैराटीचर्स स्थायी होंगे। वैसे विभाग ने सभी को उम्र व संतानों की संख्या दो से अधिक होने की छूट देने का प्रस्ताव दिया है ताकि सभी 3886 को स्थायी नियुक्ति मिल सके।
वर्तमान में पैराटीचर्स का वेतन 11 हजार रुपए है जबकि नई व्यवस्था के तहत इन पैराटीचर्स को 21 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन मिल सकता है। नियुक्ति की अवधि पांच साल रखी गई है। माना जा रहा है कि पांच साल बाद फिर से इसमें बढ़ोतरी की जा सकती है हालांकि प्रस्ताव में इसका उल्लेख नहीं है।
स्टूडेंट्स को मिड डे मिल से पहले हाथ धुलवाना, स्वच्छ वातावरण में भोजन करवाना।
स्कूल से वंचित स्टूडेंट्स का रिकार्ड रखना
वंचित स्टूडेंट्स को स्कूल से जोड़ना और उनका नियमित ठहराव सुनिश्चित करना
शाला विकास और शैक्षिक वातावरण के लिए आम जन से संपर्क रखना
शैक्षिक व सह शैक्षिक गतिविधियों में सहयोग करना
कुपोषित बच्चों का ध्यान रखना
शाला मैदान की स्वच्छता का ध्यान रखना
शुद्ध पेयजल की व्यवस्था रखना
अभी सिर्फ प्रस्ताव
शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक डॉ.राकेश कुमार ने बताया कि इस संबंध में अब तक प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। अंतिम निर्णय राज्य सरकार को अभी करना है।