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जयपुर,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने चौथे बजट में की गई शानदार घोषणाओं के दम पर भले ही साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी का ख्वाब देखते हों लेकिन उनके तीन साल के कार्यकाल में बढ़ते अपराध और सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं ने प्रदेश के साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर भी सरकार की किरकिरी करवाई है।

बिगड़ती कानून व्यवस्था और सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं पर इंटेलिजेंस का फेलियर सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है। कानून व्यवस्था को लेकर अब सरकार पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। सवाल इसलिए भी खड़े हो रहे हैं क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास गृहमंत्री का जिम्मा भी है ऐसे में कानून व्यवस्था खराब होती है तो उसे लेकर मुख्यमंत्री पर ही सवाल खड़े होंगे।

3 साल के कार्यकाल में आधा दर्जन से ज्यादा सांप्रदायिक घटनाएं
17 दिसंबर 2018 को सरकार के गठन के बाद अब तक 3 साल के कार्यकाल में आधा दर्जन से ज्यादा सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं हो चुकी हैं जो कि सरकार के लिए चिंता का विषय है। खराब व्यवस्था और बढ़ते अपराधों को लेकर गहलोत सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है।

विधानसभा सत्र से लेकर सड़कों तक विपक्ष इस मामले में सरकार को घेरता हुआ आया है। बड़ी बात यह है कि 3 साल के कार्यकाल में जयपुर, मांडल, छबड़ा, मालपुरा, करौली और जोधपुर में सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं हो चुकी है, हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार कानून-व्यवस्था के मॉनिटरिंग करते हैं और अधिकारियों से फीडबैक भी लेते हैं लेकिन बावजूद इसके प्रदेश में सांप्रदायिक घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।

कानून व्यवस्था के मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप
दिलचस्प बात यह भी है कि गहलोत सरकार के कार्यकाल में जहां अपराधों का ग्राफ लगातार पड़ रहा है तो सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। खराब कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर होता है तो सत्ता पक्ष भी बीजेपी शासित राज्यों की बिगड़ती कानून व्यवस्था का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेता है, जिससे समस्या का समाधान निकालने की बजाए केवल आरोप-प्रत्यारोप का दौर ही चलता है।

सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं से कांग्रेस थिंक टैंक में भी चिंता
वहीं प्रदेश में बढ़ रही सांप्रदायिक तनाव घटनाओं से कांग्रेस के थिंक टैंक में भी चिंता बरकरार है। चिंता इस बात की है कि भले ही सरकार ने जनहित व प्रदेश के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं की हैं लेकिन अगर कानून व्यवस्था ठीक नहीं की गई और अपराधों पर लगाम नहीं लगाया गया तो डेढ़ साल के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को इसका खमियाजा भुगतना पड़ सकता है।

दूसरे कार्यकाल में भी सूरवाल और गोपाल कांड राष्ट्रीय स्तर पर छाए
अशोक गहलोत के दूसरे कार्यकाल में भी सवाई माधोपुर के सूरवाल कांड और भरतपुर के गोपालगढ़ कांड राष्ट्रीय स्तर पर छाई रहे थे। गोपालगढ़ कांड को लेकर तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी नाराजगी जाहिर की थी और तत्कालीन राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन को जायजा लेने गोपालगढ़ भेजा था। साथ ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी तब पीड़ित परिवारों से मिलने गोपालगढ़ पहुंचे थे।

3 साल के कार्यकाल में यहां हुई सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के 3 साल के कार्यकाल में 3 जिलों में सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं सामने आई हैं उनमें जयपुर मांडल छबड़ा मालपुरा करौली और जोधपुर है। अकेले बीते 2 माह में सांप्रदायिक तनाव की तीन घटनाएं सामने आ चुकी है।

-जयपुर———— अगस्त 2019 में कावड़ यात्रा के दौरान सुभाष चौक और जयपुर दिल्ली हाईवे पर दो समुदायों में झगड़े के बाद तनाव।

-मालपुरा———— टोंक जिले के मालपुरा कस्बे में अक्टूबर 2019 के दौरान दशहरे के जुलूस के दौरान दो समुदायों में जमकर पथराव के बाद सांप्रदायिक तनाव।

-मांडल————– मार्च 2022 में भीलवाड़ा के मांडल में मंदिर का ताला टूटने पर दो पक्ष आमने-सामने हो गए थे इससे सांप्रदायिक तनाव फैल गया था।

-छबड़ा—————बारां जिले के छबड़ा कस्बे में अप्रैल 2021 को चाकूबाजी की घटना के बाद सांप्रदायिक तनाव हो गया था, जिसके बाद वहां कर्फ्यू लगाना पड़ा।

-करौली————– 2 अप्रैल 2022 को नव संवत्सर के जुलूस के दौरान दो समुदायों में पत्थरबाजी और आगजनी घटना के बाद कई दिन कर्फ्यू लगाना पड़ा।

-जोधपुर—————- 2 मई और 3 मई को धार्मिक झंडा लगाने को लेकर दो पक्षों के भी जमकर पथराव हुआ उसके बाद जोधपुर के 10 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाना पड़ा।

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