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बीकानेर,धोरों की धरती पर मंगलवार को भोर से ही आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उडऩे लगी। सूरज की किरण के साथ ही छतों पर चहल-पहल नजर आने लगी। म्यूजिक सिस्टम बजते ही नए पुराने-गाने की धुन पर युवा मस्ती में झूम रहे थे तो आसमान में पतंगें लहरा रही थीं। मौका था आखातीज पर हुई पतंगबाजी के शौक का। जिसमें युवा, बुजुर्ग, महिला, युवतियों व बच्चों का उत्साह छत पर चढ़कर बोलता नजर आया। शाम को अंधेरा ढलने तक जमीन और आकाश में उत्सव का माहौल रहा। पतंगबाजी के चलते मानो शहर में कफ्र्यू से हालात हो गये। सड़के सुनी नजर आई तो अधिकांश व्यापारिक प्रतिष्ठान भी बंद रहे।
रंग-बिरंगी पतंगों से अटा आसमां
कोई पतंग के कन्ने बांध रहा था। कोई छढ़इया दे रहा था। सड़क पर बच्चे पतंग लूटने में मशगूल। मौज मस्ती से सरोबार छत। शहर स्थापना के दूसरे दिन आखातीज पर समूचे बीकानेर के लोग छतों पर नजर आए। 43 डिग्री तापमान के बीच लोगों का उत्साह परवान पर नजर आया। ना किसी को गर्मी की चिंता और ना हीं धूप से परेशानी की शिकन। बस एक ही मकसद उड़ी-उड़ी रे पतंग मेरी उड़ी रे…वो काटा। ढील दे, लटाई सीधी कर… के स्वर दिनभर छतों से सुनाई दिए। जैसे ही किसी की पतंग कटी खुशी का स्वर गूंज उठता।
हर एक के सिर चढ़कर बोला जूनून
यूं तो बीकानेर के वासी सभी पर्वो को नए अंदाज में मनाते है, लेकिन पतंगबाजी का अंदाज कुछ निराला है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक पतंगें तानते नजर आए। इसमें युवतियां और महिलाएं भी पीछे नहीं रही। शाम ढलने पर लोगों ने शंख बजाने के बाद पटाखे छोड़कर खुशियां मनाई। लोगों ने दिनभर पतंगबाजी की और आगामी वर्ष तक गायों को गुड़ देने व पशु पक्षियों की सेवा का संकल्प लिया। शहर के हरेक गली-मोहल्ले में पतंग, चरखी, मांझे की बात से ऐसा लग रहा था, मानो समूचा शहर पतंग की आबोहवा में डूब गया हो। जनप्रतिनिधि भी इस आनंद में अपनों के साथ नजर आए।
ढील दी और पतंग छू गई आसमां
एक ने पतंग की डोर को थामी तो दूसरे ने चरखी। ढील देते हुए पतंग ने छू लिया आसमां। यह दृश्य शहर की हरेक छत पर दिनभर दिखाई दिया। जैसे ही पतंग आसमान जाकर छोटी होती, बच्चों के मुख पर मुस्कान फैल जाती। पतंगबाजी के आनंद में मंगलवार को ना तो किसी को व्यापार की चिंता थी,और ना ही खाने की। सब का एक ही मकसद नजर आया कि खूब आनंद लें और उनकी पतंग से सबकी पतंग कट जाए। वहीं कॉलेज और स्कूली छात्राओं ने भी पतंगबाजी का जमकर लुत्फ उठाया।
खीचड़े के साथ इमली का पानी
सुबह घरों में बाजरे का खीचड़ा, इमली का पानी, बड़ी की सब्जी बनाई गई। बच्चा हो चाहे बड़ा कोई भी इसका स्वाद लेने में पीछे नहीं रहा। नगर स्थापना के दूसरे दिन भी कीकाणी व्यासों का चौक, लालाणी व्यासों का चौक, पारख मोहल्ला आदि कई स्थानों पर चंदा उड़ाने की रस्म निभाई गई।
नेताओं ने लड़ाए पेच
अक्षय तृतीया पर राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि पतंगबाजी से पीछे नहीं रहे। शिक्षा मंत्री डॉ बी डी कल्ला,उर्जा मंत्री भंवरसिंह भाटी,भूदान बोर्ड के अध्यक्ष लक्ष्मण कड़वासरा,केश कला बोर्ड के अध्यक्ष महेन्द्र गहलोत,पूर्व न्यास अध्यक्ष महावीर रांका,डॉ सत्यप्रकाश आचार्य,मोहन सुराणा,अशोक प्रजापत, आदि ने अपने निवास पर कार्यकर्ताओं व परिजनों के साथ पतंग उड़ाई।
पतंगों के साथ ली सेल्फी
अन्य त्यौहारों की तर्ज पर आखातीज पर भी सेल्फी का जोर रहा। सोशल मीडिया पर जमकर पतंगों के साथ सेल्फी दिन भर अपलोड होती रही। कोई पतंग उडाता सेल्फी ले रहा था तो कोई पतंग लुटता हुआ, सोशल मीडिया पर दिन भर लाइव विडियो भी अपलोड होते रहे । कही पति पत्नी के साथ फोटो अपलोड हुई तो कही बच्चों के साथ फोटो क्लिक होते दिखाई दिए।

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