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बीकानेर नगर के 535 वें स्थापना दिवस पर बीकानेर की कला संस्कृति नए रंगों में रुपायमान हुई है। संभागीय आयुक्त डा. नीरज के .पवन की सृजनधर्मिता ने नगर के विभिन्न आयामों में नए रंग खिलाए हैं। स्थापना दिवस पर आयोजित सात प्रमुख कार्यक्रमों में से पांच में वे खुद उपस्थित रहे। उनका विजन और प्रशासन की सहभागिता तारीफे काबिल है। वे बीकानेर की लोक संस्कृति में रम गए। यहां की कला संस्कृति को आत्मसात किया और जिया भी। उनकी इस सृजना धर्मिता से लोक जीवन, कला, साहित्य, संस्कृति, नृत्य संगीत, चित्र कला, नाट्य कला को प्रोत्साहन मिला। एक व्यक्ति की अभिरुचि, दृष्टि और सोच ने जन जीवन में नए उत्साह का रंग भर दिया। बिकाणा रंग महोत्सव, राष्ट्रीय स्तर पर नाट्य कला के चार नाटकों की अविस्मरणीय प्रस्तुति दी गई। इन नाट्य प्रस्तुतियों को बीकानेर वर्षों याद रखेगा। चार दिवसीय नाट्य समारोह का शुभारंभ डा. नीरज के पवन ने ही किया था। पवन ने चित्रों और उस्ता कला पर आधारित चित्र प्रदर्शनी में शिरकत की। चंदा महोत्सव में लोक समवेत स्वर में आकाश में उड़े म्हारो चंदो। लखमीनाथ सहाय करे। सदा खुशहाली रेवे शहर में। अन्न धन से भंडार भरे। पवन ने पहली बार सुना। चित्रकला प्रतियोगिता भी आयोजित हुई। नीरज के पवन ने सांस्कृतिक संध्या का भी लुफ्त लिया। रोजा इफ्तार भी करवाया। कवि सम्मेलन और मुशायरा शब्द महफिल का भी आयोजन हुआ। पुरातन सिक्कों की प्रदर्शनी भी लगाई गई। प्रतिभाओं को भी सम्मानित किया गया। कहना होगा कि बिकाणा की अलमस्तगी, अक्खड़पन, पाटा संस्कृति , भाईचारा,साम्प्रदायिक सद्भाव और सहिष्णुता की परंपरा का सैलाब जन जन में उमड़ा। जरूरत कला, साहित्य, संस्कृति और लोक जीवन में आए भाई भतीजावाद और खेमेबाजी से उबरने की है। इन पर कुंडली जमा कर बैठे लोग इसे जनता का मंच बनने दें। हर जगह धनिया भगानिया मैं _ लोक जीवन में विद्रूपता भर रहे हैं। भगवान के लिए इससे बचे। तभी संस्कृति जीवंत हो सकेगी अन्यथा औपचारिकता बन जाएगी। आयोजन में सहभागिता के लिए धन्यवाद प्रशासन। धन्यवाद नीरज के पवन।

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