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बीकानेरz पैसा, पावर और कानूनी खामियों को मुखौटा बनाकर ब्लैक मनी से आयकर चोरी के एक मामले में उच्च न्यायालय ने प्रथम दृष्टिया दो पीडि़तों को तुरन्त जमानत पर रिहा कर राहत प्रदान की है। इससे देश की न्याय व्यवस्था पर लोगों का भरोसा बढऩा तय है। मामले में एक शातिर पक्ष, जो प्रारम्भ से ही धोखाधड़ी के मामले में चर्चित रहा है, ने जाँच को गलत दिशा में सदैव मोड़े रखने का प्रयास किया है।
खानदानी धोखाधड़ी से सने हैं शातिर पक्ष के हाथ
करीब 17 वर्ष पूर्व भी बीकानेर के बहुचर्चित ईमानदार डॉक्टर मयंक बागड़ी परिवार के द्वारा भी इसी शातिर पक्ष के विरुद्ध एफआईआर करवायी गयी थी, जिसमें इस शातिर पक्ष ने मामले को रफा-दफा करवाने में धन-बल और रसुखात का भरपूर प्रयोग किया था। इससे पूर्व भी मोटाराम सूरजमल दूगड़ (एच.यू.एफ.) परिवार असम में लखीगंज और विलासीपाड़ा में गरीबों के खून चूसने का काम,अर्थात् मोटी ब्याज दर पर गरीबों से मकान-जेवरात गिरवी रख सूदखोरी का कार्य भी करते थे। उस दौरान भी अनेक लोगों के साथ धोखाधड़ी का खुला खेल खेला गया, वर्तमान प्रकरण में आर. एस. के्रडिट प्राईवेट लिमिटेड आदि के विरुद्ध सुनील सोनी एवं जुगलकिशोर द्वारा कोटगेट थाने में चार वर्ष पूर्व दायर 3 अलग-अलग एफआईआर में मनीष छाजेड़ और राजेंद्र ओझा को उच्च न्यायालय जोधपुर द्वारा जमानत मिल गयी है। दोनों की जमानत माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर द्वारा स्वीकार की गई है। मामले में एस.ओ.जी. द्वारा अनुसंधान किया जा रहा है। उच्च न्यायालय ने प्रकरण के तथ्य आदि को मद्देनजर रखते हुए मनीष छाजेड़ और राजेंद्र ओझा को न्यायहित में जमानत पर रिहा करने के आदेश फरमाए। प्रकरण में जोधपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक उपाध्याय ने माननीय उच्च न्यायालय में जमानत के आदेश करवाये एवं बीकानेर के जाने-माने अधिवक्ता अजय पुरोहित एवं उनके सहयोगी गगन सेठिया ने बीकानेर सीजेएम में जमानत की कार्यवाही सम्पन्न करवायी। प्रकरण में दोनों व्यक्तियों को 50-50 हजार रुपए की दो-दो जमानत एवं निजी एक-एक लाख के मुचलके पर रिहा किया गया है।

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