बीकानेर,2014 से देश में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो रहा है, मगर कांग्रेस के तथाकथित नेताओं को इससे कोई फख नहीं पड़ता। उन्हें अपनी जवाबदेही का अहसास नहीं है, देश व राज्यों में कांग्रेस की हार का ठीकरा उक्त तमाम नेता गांधी परिवार मतलब सोनिया, राहुल और प्रियंका के माथे फोड़कर अपना ‘नापाक’ दामन छिपा लेना चाहते है। ऐसा हुआ है, हो रहा है, यह हम सब देख रहे हैं। काश! कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं ने अपनी जमीन तैयार कर कांग्रेस के भविष्य पर ही सोचा होता तो पार्टी की यह फर्जीलत नहीं होती। कोई भी वरिष्ठतम नेता आज भी अपनी गिरबा में झांक कर देखना नहीं चाहता। वह चाहते हैं कि ‘गांधी परिवार उनसे डरता रहे। आलाकमान को डर दिखाकर अपने-अपने फायदे सादते रहे। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी हमेशा कांग्रेस के वरिष्ठतम नेताओं के साथ खड़ी रहौ। हमेशा उनके मान-सम्मान पर ध्यान देती रही।
लेकिन कड़वा सत्य तो यहाँ कि जब जब भी सोनिया गांधी संकटों में आई पार्टी को करारी होने लगी तब-तब उक्त यही नेता गांधी परिवार को ही तारगेट करते रहे। सोनिया चाहती तो अपनी सास स्व श्रीमती इन्द्रा गांधी बनकर ‘शो-पीस’ नेताओं को पार्टी से निकाल बाहर करतो श्रीमती इन्द्रा गांधी जैसी राजनैतिक चुनौतियां आज सोनिया गांधी के सामने नहीं है। फिर भी वह कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं को साथ लेकर पार्टी में मजबूती से सत्ता पक्ष का मुकाबला कर रही है।
बावजूद इसके कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता पड़े। पार्टी को कमजोर होते देख रहे हैं, देखना श्रीमती सोनिया गांधी यदि जल्द से चाहते हैं। उनके पास सत्तारूठ भाजपा को हराने, कांग्रेस को और अधिक मजबूत करने का लगता है साहस ही नहीं बचा मूकदर्शक बन कर देखना उन्हें जयादा पसंद है। जबकि पहले भाजपा और अब आम आदमी पार्टी कांग्रेस को भारत मुक्त करने पर आमादा है। हालांकि ऐसा होगा नहीं मगर सुरत-ए-हाल यहाँ बने रहे तो भविष्य के लिए कुछ नहीं कहा जा सकता।
मौजुदा सुरत-ए-हाल में श्रीमती सोनिया गांधी को अपनी सास की तरह बनना ही होगा। आयरन लेडी प्रियदर्शनी कहलाई स्व. श्रीमती इन्द्रा गांधी बनकर दिखाना होगा। याद नहीं तो ‘गांधी परिवार’ को धोखे पर धाख खाते रहना होगा। में समझता हूँ… गांधी परिवार विशेष कर श्रीमती सोनिया गांधी को श्रीमती इन्द्रागांधी बनकर दिखाना ही होगा। इसके लिए उन्हें ‘कामराज फार्मूला’ या इन्द्रा कांग्रेस को तर्ज पर सोनिया कांग्रेस क्यों नहीं बनाना पड़े।
श्रीमती सोनिया गांधी जल्द से जल्द यह कदम उठाती है और कड़वे फैसले करती है तो वह न केवल दलितों, अल्पसंख्यकों व कमजोर वर्ग का भला करेगी बल्कि हताश व निराश हो चुके कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी एक नई उर्जा एक सकेगी। कांग्रेस पार्टी को आज सबसे बडाँ जरूरत ‘वीट ऑफ प्रेसेन्ट’ बढ़ाने की जरूरत है। जबकि यह घट रहा है, जिससे कांग्रेस हार रही है, कमजोर हो रही है।