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बीकानेर,पांचवीं और आठवीं बोर्ड की परीक्षा दे नन्हें मुन्ने विद्यार्थियों को अपने मूल स्कूल से काफी दूर जाकर परीक्षा देना पड़ रहा है लेकिन बीकानेर शहर के दोनों महात्मा गांधी स्कूल्स के विद्यार्थियों अपने ही स्कूल परिसर में परीक्षा दे रहे हैं। मजे की बात ये है कि इन दोनों स्कूल्स के पास ही दूसरे सरकारी स्कूलें भी हैं, लेकिन इसके बाद भी इनका सेंटर खुद का स्कूल ही रहा। वहीं, कुछ अन्य सरकारी स्कूल का सेंटर भी नहीं बदला गया है। प्राइवेट स्कूल से जुड़े संगठनों ने अब इसका विरोध करना शुरू कर दिया है।

शहर में दो महात्मा गांधी स्कूल है, जिसमें एक मुरलीधर व्यास नगर में है और दूसरा जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक कार्यालय के पास है। मुरलीधर व्यास कॉलोनी स्थित महात्मा गांधी स्कूल के पास ही करमीसर का राजकीय सीनियर सैकंडरी स्कूल है, जबकि सूरसागर स्थित महात्मा गांधी स्कूल के पास ही राजकीय गंगा बाल विद्यालय है। इन दोनों स्कूलों के सेंटर फिर भी नहीं बदले गए। यहां पांचवीं व आठवीं के परीक्षा देने वाले स्कूल्स को वहीं पर सेंटर दे दिए गए। जबकि इन्हीं महात्मा गांधी स्कूल के पास स्थित हिन्दी मीडियम के सरकारी और अंग्रेजी माध्यम के प्राइवेट स्कूल्स के सेंटर काफी दूर दिए गए हैं। ऐसे में इन विद्यार्थियों को तीन से पांच किलोमीटर दूर तक एग्जाम देने के लिए जाना पड़ रहा है।

इस संबंध में शिक्षा विभागीय पंजीयक कार्यालय के पंजीयक पालाराम मेवता ने कहा कि इस तरह के कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं कि महात्मा गांधी स्कूल्स के विद्यार्थियों को वहीं पर रखा जाएं। ये निर्णय मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी स्तर पर होता है। बीकानेर की कार्यवाहक मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कांता चौधरी ने बताया कि ऐसा जानबूझकर नहीं किया गया है, गलती से हो गया होगा। ग्रामीण एरिया में दूरी ज्यादा होने के कारण विद्यार्थियों का सेंटर नहीं बदला जाता लेकिन शहर में ऐसा गलती से हुआ है।
प्राइवेट स्कूल्स का विरोध

उधर, प्राइवेट स्कूल संगठन पैपा के प्रदेश संरक्षक गिरिराज खैरीवाल का कहना है कि न सिर्फ महात्मा गांधी बल्कि कई अन्य सरकारी स्कूल के सेंटर भी नहीं बदले गए। ऐसे में सरकार की पारदर्शिता पर सवाल उठता है। प्राइवेट स्कूल्स के साथ भेदभाव प्रतीत होता है जबकि अपनी ही स्कूल में सेंटर से एग्जाम पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है। सरकार को भविष्य में समान नीति अपनानी चाहिए।

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