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बीकानेर, जगद्गुरु पंचम पीठाधीश्वर गोस्वामी श्री वल्लभाचार्यजी महाराज के मनोरथ स्वरूप गोस्वामी बिटठल नाथजी बावाश्री के सान्निध्य में श्रीमद् वल्लभाचार्यजी के 545 श्री राज रतन बिहारी जी मंदिर में सोमवार को सर्वोत्तम यज्ञ हुआ। मंगलवार को दोपहर तीन बजे शोभायात्रा निकलेगी। शोभायात्रा की अनुमति जिला प्रशासन ने दे दी है।
वल्लभाचार्य समुदाय की पंचम पीठ के बीकानेर के आचार्यश्री गोस्वामी विट्ठलनाथ जी बावाश्री के नेतृृत्व में हुए सर्वोतम यज्ञ में गोस्वामी विट्ठलनाथ जी की ओर से रचित ’’श्री वल्लभाचार्यजी की अष्टशत नामावली’’ से वल्वल्लभाचार्यजी के 108 नामों और वेदोक्त मंत्रों से आहूतियां दी गई।
मंगलवार 26 अप्रेल को आसानियों के चैक के गोवर्धननाथजी मंदिर से अपरान्ह तीन बजे शोभायात्रा निकलेगी, जो तेलीवाड़ा के विट्ठलनाथ जी , दाऊजी मंदिर, कोटगेट होते हुए श्री राज रतन बिहारी मंदिर पहुंचेगी । रतन बिहारी मंदिर में ही शाम साढ़े छह बजे बीकानेर के आचार्यश्री ब्रजांग बाबा का केसर स्नान एवं वचनामृृत,शयन में प्रभु का मनोरथ सहित विविध कार्यक्रम होंगे।
आचार्यश्री गोस्वामी विट्ठलनाथ जी बावाश्री ने रतन बिहारी मंदिर में सर्वोत्तम यज्ञ के दौरान प्रवचन में कहा कि श्रीमद्् वल्लभाचार्यजी श्रीकृृष्ण व स्वामिनीजी (श्रीराधाजी) के मुखाग्निी स्वरूप् थे। उनका जन्म विक्रम संवत्् 1535 में छतीसगढ़ के चंपारण में हुआ था। उन्होंने श्रीकृृष्ण से काल व परिस्थितिवश दूर हुए जीवों को जोड़ने के लिए वैष्णव सम्प्रदाय की स्थापना की । वेद, भागवत, गीताजी व ब्रह््मसूत्र आदि ग्रंथों की टीका की। उनके द्वारा रचित ’’सुबोधिनीजी’’ भागवत का सार है। यह ग्रंथ सभी वैष्णवजनों के घर पर रहती है।

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