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जयपुर.प्रदेश में सत्र 2021—22 से शुरू हुए सात नए सरकारी नर्सिंग कॉलेजों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। मौजूदा सत्र से सीकर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, पाली, बाड़मेर और भीलवाड़ा में राजकीय नर्सिंग कॉलेज शुरू किए गए हैं। जिनमें प्रति कॉलेज 60—60 सीटों के साथ 420 सीटे हैं। राज्य सरकार के अनुसार नए कॉलेज खोलने के लिए अब इंडियन नर्सिंग काउंसिल की मान्यता की जरूरत नहीं है। वहीं इंडियन नर्सिंग काउंसिल ने आईएनसी अधिनियम का हवाला देते हुए विद्यार्थियों को दो टूक कह दिया है कि उनका कॉलेज आईएनसी की सूची में नहीं है तो वे राजस्थान से बाहर नौकरी नहीं कर पाएंगे।

आईएनसी के अनुसार देश के किसी भी नर्सिंग कॉलेज के निरीक्षण का अधिकार और वहां कमियां मिलने पर कार्यवाही का अधिकार आईएनसी के पास बरकरार है। इसी आधार पर हाल ही आईएनसी ने जयपुर के एक निजी नर्सिंग कॉलेज पर कार्यवाही भी की है।
हर साल 20 हजार विद्यार्थी, 10 प्रतिशत को भी नौकरी नहीं
राज्य में प्रति वर्ष करीब 20 हजार विद्यार्थी नर्सिंग पाठृयक्रम पूरा करते हैं, जिनमें से 10 प्रतिशत को भी नौकरी नही मिलती। मुख्यमंत्री ने अब सभी जिलों में नर्सिंग कॉलेजों की घोषणा भी कर दी है। प्रदेश में सात नए कॉलेज खुलने के बाद 15 संस्थान हो गए हैं।

एक्सपर्ट कमेंट
नर्सिंग पाठृयक्रमों को राष्ट्रीय स्तर पर नियामक संस्था के तत्वावधान में संचालित किया जाना चाहिए, ताकि सभी राज्यों में एक साथ प्रवेश, परीक्षा एवं एग्ज़िट प्रक्रिया सम्पन्न हो सके। नियामक संस्था में भी आवेदन होना चाहिए। ऐसा होता है तो विद्यार्थियों को देश-विदेश में बेहतर नौकरी प्राप्त करने के अवसर प्राप्त होंगे।
वीना पाण्डेय, पूर्व प्राचार्य, राजकीय नर्सिंग कॉलेज, जयपुर

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार अब नर्सिंग कॉलेजों के लिए आईएनसी की मान्यता की जरूरत नहीं है। आईएनसी ने किस निजी नर्सिंग कॉलेजों पर कार्यवाही की है, उसकी जानकारी करेंगे।
वैभव गालरिया, प्रमुख शासन सचिव, चिकित्सा शिक्षा विभाग

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